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(२) 'हे वादिविजयलक्ष्मीशरण ! वादियों के साथ वाद करने से प्राप्त होती हुई ऐसी विजयलक्ष्मी के शरणभूत हो।
(३) 'हे वादिमदगञ्जन !' वादी के मद का विनाश करने वाले हो ।
(४) 'हे वादिमुखभजन !' वादी के वदन-मुख का भंजन करने वाले हो ।
(५) 'हे वादिगजसिंह !' वादी रूपी हाथी को भगाने के लिये सिंह के समान हो ।
(६) 'हे वादिसिंहअष्टापद !' वादी रूपी सिंहों के लिये अष्टापद के समान हो ।
(७) 'हे वादिविजयविशद !' वादियों के साथ विवाद करने के लिये विशद हो अर्थात् उच्च प्रकार की बुद्धि को धारण करने वाले हो।
(८) 'हे वादिवृन्दभूमिपाल !' वादियों के वृन्दसमूह में भूमिपाल अर्थात् · भूमि को पालन करने वाले राजा-महाराजा के समान हो ।
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