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________________ था। इनके जीवन का शेष परिचय प्रथम गणधर श्री इन्द्रभूति आदि की माफिक जानना। इनको भी 'जो शरीर है वो ही प्रात्मा है कि शरीर से आत्मा भिन्न है ?' इस विषय का संदेह-संशय अपने हृदय में था। (४) श्रीव्यक्त-इनका जन्म कोल्लाक गाँव में मकर राशि और श्रवण नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम धनमित्र ब्राह्मण, माता का नाम वारुणीदेवी और गोत्र का नाम भारद्वाज गोत्र था तथा ये अपने ५०० छात्रों के अध्यापक थे। इनके जीवन का शेष परिचय श्री इन्द्रभूति आदि की माफिक जानना। इनको भी 'पृथ्वी आदि पञ्चभूत हैं कि नहीं ?' इस विषय का संदेहसंशय अपने अन्तःकरण में था। (५) श्रीसुधर्मा-इनका जन्म कोल्लाक गाँव में कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम धनमित्र ब्राह्मण, माता का नाम भद्दिलादेवी और गोत्र का नाम अग्निवैशायन गोत्र था तथा ये अपने ५०० छात्रों के अध्यापक थे। इनके जीवन का शेष परिचय श्री इन्द्रभूति आदि की माफिक जानना। इनको भी 'जो प्राणी जैसा इस भव में होता है, वैसा ही परभव
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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