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समवसरण की सुन्दर रचना की। उसमें अशोक वृक्ष के नीचे देव निर्मित रत्न सिंहासन पर प्रभु श्री वर्धमान स्वामी-महावीर परमात्मा विराजित हुए।
इस समय अपापापुरी में सोमिल नामक एक धनाढय विप्र अपने गृह के विशाल प्रांगण में यज्ञ करवाता था । इसमें उसने वेदशास्त्र के महान् धुरन्धर पण्डित और चौदह विद्या के पारंगत ऐसे मुख्य ग्यारह ब्राह्मणों को अपने परिवार समेत आमन्त्रित किया था और भी अनेक ब्राह्मण आमन्त्रण से आये हुए थे। यज्ञ कराने वाले सोमिल विप्र के गृहद्वार पर यज्ञोत्सव की काफी चहल-पहल थी। अधिक संख्या में वैदिक-दर्शन के जाने-माने पण्डितवन्द एकत्र हुए थे।