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卐 ॐ ह्रीं अर्ह नमः ॥ ॥ श्रीवर्धमानस्वामिने नमः ॥ ॥ श्रीगौतमस्वामिने नमः ॥ ॥ सद्गुरवे नमः॥ ॥ ऐं नमः ॥
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श्रीगणधरवाद
अनादि अनन्तकालीन यह विश्व है। इसमें अनादि काल से कालचक्र चल रहा है। इसके दो विभाग हैं । उत्सर्पिणीकाल और अवसर्पिणीकाल । उत्सर्पिणीकाल के छह पारे हैं और अवसर्पिणीकाल के भी छह आरे हैं। दोनों में क्रमशः धर्मतीर्थ प्रवर्ताने वाले चौबीस तीर्थंकर परमात्मा अवश्यमेव होते हैं। प्रस्तुत अवसर्पिणीकाल में इस जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र, दक्षिणार्धभरत और उसके