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प्रतिभद्रा जस मावडी ए, बलभद्र नामे ताय-नमो० ; पुष्य नक्षत्रे जनमीया ए, घर घर उत्सवं थाय नमो भवि भावशुं ए ॥ २ ॥
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सोल वरस घरमा वस्या ए, आठ वरस मुनिराय - नमो० ; . सोल वरस रह्या केवली ए, चालीस वरस सवि आय नमो भवि भावशुं ए ॥ ३ ॥ रण सय मुनि परिकर भलो ए, सम्पूरण श्रुतधार- नमो० ; लब्धि निधान कंचन वने ए, करता भवि उपगार, नमो भवि भावशुं ए ॥ ४ ॥
वीर छते शिव पामिया ए, मास संलेखन जास- नमो० ; ज्ञानविमल कीरति घरणी ए, सुंदर जिम कैलास नमो भवि भावशुं ए ॥ ५ ॥ || इतिश्री एकादश गणधर देववन्दन सम्पूर्ण ॥ 5 ग्यारह गणधरों का साधारण चैत्यवन्दन
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एह गरणधर एह गरणधर, थया अग्यार; वीर जिनेसर पथकमले, रही भृंग परे जेह लीगा संशय टाली आापरणा थया तेह जिनमत प्रवीणा ; इन्द्र महोत्सव तिहां करे ए, वासक्षेप करे वीर लब्धि-सिद्धिदायक होजी, ज्ञानविमल गुरणे धीर ॥ १ ॥
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