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(शेष तीन स्तुतियाँ प्रथम गणधर के देववन्दन की भाँति कहनी)।
___* स्तवन * (जीहो जाण्यु अवधि प्रभुजी ने-ए देशी में ) जीहो छट्ठो मंडित गणधरु,
जीहो मौर्य सन्निवेश गाम ; जोहो विजया माता जेहनी ,
जोहो धनदेव जनकनु नाम ;
____ भविकजन वंदो गणधरदेव ; जीहो वीर तणी सेवा करे , जीहो भावधरी नित्यमेव, भविकजन० ॥१॥
(ए प्रांकणी) जीहो जन्म नक्षत्र जेहनुं मघा ,
जोहो वरस वेपन घरवास ; जोहो चौद वरस छद्मस्थमा ,
जीहो केवल सोलह वास, भविकजन० ॥२॥ जोहो त्यासी वरस सवि आउखु ,
जीहो सयल लब्धि प्रावास ; जोहो सम्पूरण श्रुतनो धणी , जोहो कंचन वर्णे खास, भविकजन० ॥ ३ ॥
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