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________________ 83 स्तवन * ( देशी-नायकानी ) सोहम गणधर पांचमा रे लाल , __ अग्निवैशायन गोत्र सुखकारी रे; कोल्लाग सन्निवेशे थयो रे लाल , भघिल्ला धम्मिल पुत्र सुखकारी रे, सोहम० ॥ १ ॥ उत्तरा फाल्गुनीए जण्यो रे लाल , पंचसया परिवार सुखकारी रे; वरस पचास घरे रह्या रे लाल , __ व्रत बैंतालीस सार सुखकारी रे, सोहम० ॥२॥ आठ वरस केवलीपणे रे लाल , एक शत वरसनुं प्राय सुखकारी रे ; वाधे पट्ट परम्परा रे लाल , ___ आज लगे जस थाय (यावत् दुप्पसहराय) सुखकारी रे सोहम० ॥ ३ ॥ संपूरण श्रुतनो धणी रे लाल , ___ सर्व लब्धि भण्डार सुखकारी रे; वीस वरस जिनथी पछी रे लाल , शिव पाम्या जयकार सुखकारी रे, सोहम० ॥ ४ ॥ ( ११४ )
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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