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________________ स्तुति अग्निभूति सोहावे. जेह बीजो 1 कहावे ; पक्ष श्रावे ; गरणधर पद पावे, बंधुने मन संशय जावे, वीर ना शिष्य सुर नर गुण गावे, पुष्पवृष्टि वधावे ॥ १ ॥ थावे ; यह प्रथम स्तुति थोय कह के शेष तीन प्रथम गणधर - देव के वंदन में जो 'सवि जिनवर केरा' वे तीन स्तुति- थोय यहाँ पर कहना । इसी तरह सभी गणधर भगवन्तों की स्तुति में जानना । * स्तवन * बीजा गणधर गाइए, अग्निभूति इति नाम ललना ; वसुभूति द्विजपृथिवी मायनो, नंदन गुरण प्रभिराम; ललना० ।। १ ॥ गोबर गाम मगधदेशे, गौतम गोत्र रतन्न, ललना ; कृतिका नक्षत्रे जनमियो, संशय कर्मनो (मर्म) मन्न; ललना० ॥ २ ॥ वरस छेंतालीश घर वस्या, व्रत पर्याय बार, ललना ; सोल वरस केवलपरणे, पंचसया परिवार, ललना० ॥३॥ चिहुंत्तेर वरसनुं प्राऊखु, पाली पाम्या सिद्धि, ललना ; मास भक्त संलेषरणा, पूर्ण ऋद्धि समृद्धि, ललना० ॥४॥ ( १०८ )
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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