________________
३०. केवलज्ञान : आयु के २५ वें वर्ष के प्रारम्भ में
केवलज्ञान प्राप्त किया। ३१. केवली पर्याय : १६ वर्ष । ३२. अनशन . : अन्तिम अवस्था में अनशन पादोप
गमन का किया। ३३. संलेखना : अन्तिम अवस्था में संलेखनापूर्वक
शैलेशी अवस्था का अनुभव किया। ३४. कर्मक्षय : चार घाती और चार अघाती सभी
कर्मों का सर्वथा क्षय किया। ३५. आयुष्य : सर्वायुष्य (१६+८+ २४ =) ४८
वर्ष का था। ३६. निर्वाण : सम्पूर्ण ४८ वर्ष का आयुष्य पूर्ण
करके प्रभु श्री महावीर परमात्मा के जीवन-काल में ही मगधदेश की राजगृही नगरी के वैभारगिरि पर, सकल कर्मों का क्षय कर निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया। मोक्ष में आज भी उनकी सादि अनंत स्थिति प्रवर्त्त रही है और भविष्य में भी सर्वदा ऐसी रहेगी। 0
( १०१ )