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________________ २२. दीक्षा - गुरु धुवेइ वा ' रूप त्रिपदी सुन कर ग्यारहवें गणधर हुए ) । : सर्वज्ञ विभु श्रमरण भगवान महावीर परमात्मा । २३. दीक्षा के दिन : श्री इन्द्रभूति तथा श्री अग्निभूति आदि १० हुए । गुरुबन्धु २४. दीक्षा के दिन : सहदीक्षित ३०० शिष्य । शिष्य परिवार २५. दीक्षा पर्याय : २४ वर्ष । (काल) २६. छद्मस्थ पर्याय: ८ वर्ष । २७. शास्त्ररचना : द्वादशाङ्गी ( आचारांग आदि बारह आगमसूत्रों) आदि की सम्पूर्ण रचना बुद्धि द्वारा की । २८. गुणसम्पदा : सुसंयम, ज्ञान, ध्यान, तप, विनय, विवेक, क्रिया तथा सेवा-भक्ति सद्गुणों के इत्यादि अनेक भण्डार थे । : केवलज्ञानादि सकल लब्धियों के निधान थे । ( १०० .) २६. लब्धियाँ
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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