________________
१८. शिष्यगण
: ३०० ।
१६. गृहस्थावस्था : ३६ वर्ष तक संसार में अर्थात् गृहस्थावास में रहे ।
२०. दीक्षा
: ३७ वें वर्ष में जैनधर्म की पारमेश्वरी प्रव्रज्या (दीक्षा) अपने ३०० शिष्यों सहित अपापापुरी के महसेन वन में श्रमण भगवान महावीर परमात्मा से ग्रहण की ।
२१. दीक्षा तिथि : वैशाख सुदी ( ११ ) ग्यारस |
२२. दीक्षा गुरु
( उसी दिन श्रमण भगवान महावीर परमात्मा के दसवें शिष्य बने और प्रभु से 'उवन्नेइ वा विगमेइ वाधुवेइ वा' रूप त्रिपदी सुन कर दसवें गणधर हुए । )
: सर्वज्ञ विभु श्रमण भगवान महावीर
परमात्मा ।
२३. दीक्षा के दिन : श्री इन्द्रभूति तथा आदि १० हुए ।
श्री श्रग्निभूति
गुरुबन्धु २४. दीक्षा के दिन : सहदीक्षित ३०० शिष्य । शिष्य परिवार
( ९५ )