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८. जन्म-नक्षत्र : श्रवण नक्षत्र । ६. देह का वर्ण : स्वर्ण (सोना) के समान वर्ण और और रूप रूप आहारक देह रूप से भी
अधिक। १०. आकृति : महान् तेजस्वी, महान् प्रभावशाली। ११. ऊंचाई : सात हाथ । १२. संघयण : वज्रऋषभ नाराच संघयण । १३. संस्थान : समचतुरस्र संस्थान । १४. व्यवसाय : अध्यापन कार्य एवं अनुष्ठान किया। १५. ज्ञान : गृहस्थावस्था में चौदह विद्या के
पारगामी तथा दीक्षावस्था में सम्यग् मतिज्ञानादि चार ज्ञान के बाद पंचम
केवलज्ञान । १६. ज्ञान का : गृहस्थावस्था में 'सर्वज्ञोऽहम्' अर्थात्
अभिमान 'मैं सर्वज्ञ हूँ' ऐसा अभिमान था। १७. संशय : 'पंच भूत (पृथ्वी आदि) हैं कि
नहीं ?' यह संशय रहा। .. १८. शिष्यगण : ५०० ।
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