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विवेक, क्रिया तथा सेवा-भक्ति इत्यादि अनेक सद्गुणों के
भण्डार थे। २६. लब्धियाँ : केवलज्ञानादि सकल लब्धियों के
निधान थे। ३०. केवलज्ञान : अपनी आयु के ५३ वें वर्ष के प्रारम्भ
में केवलज्ञान प्राप्त किया। ३१. केवली पर्याय : १८ वर्ष तक । ३२. अनशन : अन्तिम अवस्था में अनशन पादोप
गमन का किया। ३३. संलेखना : अन्तिम अवस्था में संलेखना एक मास
के उपवास की की। ३४. कर्मक्षय : चार घाती और चार अघाती सभी
कर्मों का सर्वथा क्षय किया। ३५. आयुष्य . : सम्पूर्ण आयुष्य ७० वर्ष का था। ३६. निर्वाण : सम्पूर्ण ७० वर्ष का आयुष्य पूर्ण
करके विभु श्री महावीर परमात्मा की विद्यमानता में ही, मगधदेश की राजगृही नगरी के वैभारगिरि पर,