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________________ विक्रम की सातवीं सदी तक यहाँ थिरपाल धरु के वंशजों ने राज्य किया । बाद में नाडोल के चौहाण वंशजों ने राज्य किया । विक्रम की लगभग नवमी सदी में थिरापद्रगच्छ की यहाँ स्थापना हुई मानी जाती है । कुमारपाल राजा द्वारा यहाँ 'कुमार विहार' मन्दिर बनवाने का उल्लेख है । तेरहवीं सदी में श्रेष्ठी श्री अशलाद्दन दण्डनायक द्वारा यहाँ श्री आदीश्वर भगवान के मन्दिर में श्री चन्द्रप्रभ भगवान, सीमन्धर स्वामी, अंबिका देवी, भारती देवी आदि की प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित करवाने का उल्लेख है । चौदहवीं सदी में श्री विनयप्रभ उपाध्यायजी द्वारा रचित तीर्थ माला में यहाँ का उल्लेख है । सं. 1340 में माण्डवगढ़ के मंत्री श्री झाँझणशाह जब श्री शत्रुजयगिरि संघ लेकर गये तब यहाँ के श्रीमाल ज्ञाति के श्रेष्ठी श्री आभू भी संघ लेकर पहुंचे हुए थे । श्रेष्ठी श्री आभू को 'पश्चिम मॉडलिक' व संघ को 'लघु काश्मीर' की उपाधियाँ दी गयी थी । किसी वक्त यह एक विराट नगरी थी व सहस्रों सुसम्पन्न जैन श्रावकों के घर थे, जिन्होंने जगह जगह पर धर्म उत्थान के कार्य किये, वे उल्लेखनीय हैं । विशिष्टता यह मन्दिर विक्रम की पहली शताब्दी में राजा थिरपाल धरु की बहिन द्वारा निर्मित श्री आदीश्वर भगवान-थराद हुआ था । इन्होंने, जैन धर्म की प्रभावना के अनेकों कार्य किये । सुविधाएँ वर्तमान में ठहरने के लिए विशाल आचार्य श्री वटेश्वरसूरीश्वरजी ने थिरापद्रगच्छ की। धर्मशाला है, जहाँ बिजली, पानी, बर्तन, ओढ़ने-बिछाने स्थापना यहीं की थी । के वस्त्र व भोजनशाला की भी सुविधा हैं । अन्य मन्दिर 8 वर्तमान में इसके अतिरिक्त 10 पेढ़ी श्री थराद जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ, मन्दिर और हैं । मैन बाजार, पोस्ट : थराद - 385565. कला और सौन्दर्य यहाँ के मन्दिरों में अनेकों जिला : बनासकांढा, प्रान्त : गुजरात, प्राचीन कलात्मक प्रतिमाओं के दर्शन होते है। फोन : 02737-22036. मार्ग दर्शन नजदीक का रेल्वे स्टेशन डीसा लगभग 55 कि. मी. हैं, जहाँ से बस व टेक्सी का साधन है । नजदीक का गाँव भोरोल 22 कि. मी. है। IIIIIAN मन्दिर तक कार व बस जा सकती है । यहाँ से अहमदाबाद, बम्बई बड़ौदा व राजकोट आदि के लिए बस सेवा उपलब्ध है। गाँव में टेक्सी, आटो की सुविधा है । 501
SR No.002332
Book TitleTirth Darshan Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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