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________________ विशिष्टता 8 यह मन्दिर संडेर गच्छ के आचार्य श्री यशोभद्रसूरीश्वरजी द्वारा प्रतिष्ठित माना जाता है । यशोभद्रसूरीश्वरजी के जीवन प्रसंग की चमत्कारिक घटनाएँ जन-प्रचलित है । जिस दिन इस मन्दिर की प्रतिष्ठा हुई उसी समय उन्होंने अन्य चार जगह भी अलग-अलग रूप धारण कर एक ही साथ प्रतिष्ठा करवायी थी, ऐसी किंवदन्ती प्रचलित हे । अकबर बादशाह का यहाँ दर्शनार्थ आने का उल्लेख है । मान्डवगढ़ के महामंत्री श्री पेथड़शाह के पुत्र मंत्री झांझण शाह आचार्य श्री धर्मघोससूरीश्वरजी आदि अनेकों आचार्यगणों के साथ जब जैन इतिहास में उल्लेखनीय शत्रुजय यात्रा संघ लेकर यहाँ उपसर्ग हरनार श्री पार्श्वप्रभु की प्रतिमा के दर्शनार्थ आये तब संघपति का तिलक यहीं हुआ था । वर्तमान प्रतिमा भी अति ही चमत्कारी व उपसर्ग हरनारी है । प्रतिवर्ष प्रभु के जन्म कल्याणक पौष कृष्णा 10 के दिन मेला भरता है, जब हजारों नर नारी प्रभु भक्ति में भाग लेते हैं । अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त और कोई मन्दिर नहीं हैं । __कला और सौन्दर्य के प्राचीन मन्दिरों के अनेक कलात्मक खण्डहर दिखाई देते हैं । अगर शोधकार्य किया जाय जो प्रमाणिक इतिहास मिलने की संभावना मार्ग दर्शन 8 यहाँ का रेल्वे स्टेशन भूपालसागर मन्दिर से करीब एक कि. मी. दूर हैं । यह स्थान चितौड़ से 56 कि. मी. चित्तौड़-उदयपुर मार्ग पर स्थित है । मावली जंक्शन से तीसरा स्टेशन है । यहाँ का बस स्टेण्ड मन्दिर से 100 मीटर दूर है । मन्दिर तक पक्की सड़क है । कार व बस आखिर तक जा सकती है । चित्तौड़गढ़ से आने के लिए व्हाया कपासन होकर व उदयपुर से आने के लिए व्हाया डबांक मावली होकर आना पड़ता है । सुविधाएँ ठहरने के लिए मन्दिर के अहाते में ही सर्वसुविधायुक्त विशाल धर्मशाला है जहाँ भोजनशाला व नास्ते की भी सुविधा उपलब्ध है ।। पेढ़ी 8 श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्री करेड़ा पार्श्वनाथजी तीर्थ पेढ़ी । पोस्ट : भूपालसागर - 312 204. जिला : चित्तौड़गढ़, प्रान्त : राजस्थान, फोन : 01476-84233. श्री करेड़ा पार्श्वनाथ भगवान-भूपालसागर 329
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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