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श्री करेड़ा तीर्थ
तीर्थाधिराज ॐ श्री करेड़ा पार्श्वनाथ भगवान, श्याम वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 90 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) ।
तीर्थ स्थल भूपालसागर गाँव के मध्य ।
प्राचीनता * इस तीर्थ की प्राचीनता का सही प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं । वर्तमान जीर्णोद्धार के समय एक प्राचीन स्थंभ प्राप्त हुआ, जिसपर सं. 55 का लेख उत्कीर्ण है, इससे यह प्रतीत होता है कि यह तीर्थ वि. के पूर्व काल का होगा । इस मन्दिर को श्री खीमसिंह शाह द्वारा वि. सं. 861 में बनवाने व आचार्य श्री जयानन्दसूरीश्वरजी के सुहस्ते प्रतिष्ठित करवाने का भी उल्लेख है अतः संभवतः उस समय जीर्णोद्धार करवाकर पुनः प्रतिष्ठा करवाई होगी । दशवीं सदी में पुनः जीर्णोद्धार होकर आचार्य श्री यशोभद्रसूरीश्वरजी के सुहस्ते प्रतिष्ठा हुवे का उल्लेख है । वि. सं. 1326 चैत्र कृष्णा सोमवती अमावस्या के दिन महारावल श्री चाचिगदेव द्वारा यहाँ श्री पार्श्वनाथ भगवान के मन्दिर की सेवा-पूजा निमित कुछ धनराशि अर्पण करने का
उल्लेख है । भमती में कुछ मूर्तियों पर वि. सं. 1303, 1341 व 1496 के लेख उत्कीर्ण हैं ।
गुर्वावली में उल्लेखानुसार मान्डवगढ़ के महामंत्री श्री पेथड़शाह ने भी श्री पार्श्वनाथ भगवान के मन्दिर का यहाँ निर्माण करवाया था ।
मान्डवगढ़ के महामंत्री श्री पेथड़शाह के पुत्र श्री झांझण शाह वि. सं. 1321 में जब श्री शत्रुजयगिरि यात्रा संघ लेकर यहाँ आये तब श्री पार्श्वप्रभु के मन्दिर का जीर्णोद्धार प्रारम्भ करके सात मंजिल का मन्दिर बनवाने का उल्लेख है । लेकिन आज उस भव्य मन्दिर का पता नहीं । वर्तमान मन्दिर वि. सं. 1039 का निर्मित माना जाता है । वि. सं. 1656 में पुनः जीर्णोद्धार हुए का उल्लेख है । प्रभु प्रतिमा पर भी वि. सं. 1656 का लेख उत्कीर्ण है । हो सकता है जीर्णोद्धार के समय यह प्रतिमा प्रतिष्ठित करवायी गई होगी ।
इस मन्दिर का हाल ही में पुनः जीर्णोद्धार होकर वि. सं. 2033 माघ शुक्ला 13 के शुभ दिन आचार्य श्री सुशील सूरीश्वरजी के सुहस्ते इस प्राचीन प्रभु-प्रतिमा की पुनः प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई ।
श्री करेड़ा पार्श्वप्रभु जिनालय-भूपालसागर
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