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श्री आदीश्वर भगवान-आयड़
करने पर राजा ने 'तपा' विरूद से अलंकृत किया था । तभी से तपागच्छ अस्तित्व में आया । आचार्य श्री जगच्चन्द्र सूरीश्वरजी ने कई वादियों को शास्त्रार्थ में पराजित किया था । उस पर राजा ने उन्हें 'हीराला' विरूद से भी सुशोभित किया था ।
अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त चार और मन्दिर है । इनमें तीन बारहवीं शताब्दी के माने जाते हैं । क्योंकि एक मन्दिर में श्री जगच्चन्द्रसूरीश्वरजी की भी प्रतिमा विराजित हैं ।
निकट उदयपुर में कुल 44 मन्दिर हैं, जिनमें भावी चौवीसी के प्रथम तीर्थंकर श्रीपद्मनाभ स्वामी का मन्दिर (चौगान का मन्दिर) विशिष्ट है भावी चौवीसी के तीर्थंकर प्रभुका यही एक मात्र मन्दिर है जो भव्य प्राचीन व अतीव दर्शनीय है । वहाँ पर भी भोजनशाला सहित सारी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। __ कला और सौन्दर्य सारे मन्दिर प्राचीन रहने के कारण मन्दिरों में प्राचीन कलात्मक प्रतिमाओं आदि के दर्शन होते हैं ।
मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन उदयपुर सिर्फ 3 कि. मी. दूर है,जहाँ से टेक्सी व आटो की सुविधा उपलब्ध है । मन्दिर तक पक्की सड़क है । कार व बस मन्दिर तक जा सकती है। दिल्ली,
अहमदाबाद व जयपुर से यहाँ के लिए सीधी रेल व बस सुविधा है । उदयपुर में हवाई अड्डा भी हैं।
सुविधाएँ वर्तमान में इस मन्दिर के निकट ठहरने की कोई सुविधा नहीं हैं । उदयपुर में हाथी पोल की जैन धर्मशाला या चौगान मन्दिर धर्मशाला में ठहरकर आना सुविधाजनक है । वहाँ पर भोजनशाला भी उपलब्ध हैं ।
पेढ़ी 8 श्री जैन श्वेताम्बर आयड़ मन्दिर पेढ़ी, पुलिस चौकी के सामने, आयड़ पोस्ट : उदयपुर - 313 001. प्रान्त : राजस्थान, फोन : 0294-421637. चौगान मन्दिर फोन : 0294-523750. हाथी पोल धर्मशाला : 0294-420462.
चाणाण
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