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________________ हुई है। कहा जाता है कि निकट की बनास नदी के एक स्थान पर एक गाय खड़ी रहती थी, वहाँ उसका दूध झर जाता था । यह क्रम कई दिनों तक चलता रहा । गोपालक इससे हैरान था क्योंकि उसे दूध नहीं मिल रहा था । अतः इसका कारण जानने हेतु एक दिन उसने गाय का पीछा किया। वह देखता है कि बनास नदि के एक स्थान पर गाय जाकर खड़ी रहती व दुध स्वतः ही झरने लगता है। गोपालक यह द्दश्य देखकर आश्चर्य चकित हुवा । कहा जाता है कि यहाँ के नाथू नाम के श्रेष्ठी को स्वप्न में अधिष्ठायकादेवी ने संकेत दिया कि बनास नदी के उस स्थान में श्री पार्श्वप्रभु की एक प्रतिमा है, जिसे निकालकर चूलवत पर्वत पर मन्दिर का निर्माण करवाकर विधिवत प्रतिष्ठित कर संकेतिक स्थान पर प्रतिमा प्राप्त हुई व उसने मन्दिर का निर्माण करवाकर पार्श्वप्रभु की प्रतिमा की विधिवत प्रतिष्ठा करवाई जो अभी विद्यमान है। संभवतः नाथू नाम का श्रेष्ठी ही वह गौपालक होगा, जिसकी एक गाय का दूध वहाँ पर झरता था क्योंकि पुराने जमाने में प्रायः काफी श्रावकों के खेती रहती थी व गायें भी रखते थे। शायद नाथू काबड़िया, नाथू श्रावक व गौपालक एक ही होंगे । प्रतिमा अतीव चमत्कारिक है । आज भी अनेकों प्रकार की चमत्कारिक घटनाएँ घटती रहती है । प्रतिवर्ष पोष कृष्णा नवमी व दशमी को मेले का आयोजन होता है तब जैन-जैनेतर आकर प्रभु को अपनी श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं व अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं । श्वे व दि. दोनो आम्नाय के लोगों का यह श्रद्धा का केन्द्र है अतः दोनों ही भक्ति भाव से पूजा-पाठ करते है । कहा जाता है कि कभी-कभी तनाव भी बढ़ जाता है । प्रभु से प्रार्थना है कि यह तनाव हमेशा के लिये दूर होकर आपस में पुनः भाईचारा स्थापित हो । पूर्ण विश्वास है कि प्रभु महावीर की इस छबीसवीं जन्म शताब्दी में यह तनाव अवश्य दूर होगा । प्रतिमाजी के विलेपन का व मन्दिर के जीर्णोद्वार का कार्य भी शीघ्र प्रारंभ होगा । जिसकी अतीव आवश्यकता है । अन्य मन्दिर वर्तमान में पहाड़ी पर यही एक श्री चंचलेश्वर पार्श्वनाथ चंवलेश्वर मात्र मन्दिर है। तलहटी में एक और पार्श्व प्रभु मन्दिर है, जो खण्डहर अवस्था में है। इसके भी जीर्णोद्धार की आवश्यकता है । कला और सौन्दर्य मन्दिर पहाड़ी पर रहने के कारण यहाँ का पहाड़ी दृश्य अत्यन्त शांत, सौम्य मनमोहक व सुहावना लगता है। यात्रियों को शत्रुंजय का स्मरण हो आता है । मार्ग दर्शन यहाँ से भीलवाड़ा 70 कि. मी. दूर है । जहाँ पर सभी तरह के वाहनों का साधन है। भीलवाड़ा से पारोली होकर आना पड़ता है । पारोली गांव यहाँ से 8 कि. मी. दूर काछोला गांव से शाहपुरा जाने वाली रोड़ पर है । मन्दिर तक कार व जीप जा जा सकती है। बस तलहटी तक जा सकती है। यहाँ पर सवारी का कोई साधन नहीं है । नजदीक का हवाई अड्डा उदयपुर 200 कि. मी. है । सुविधाएँ ठहरने हेतु विश्राम स्थल बने डुवे हैं परन्तु सुविधाजनक नहीं है । भोजनशाला नहीं है । पेढ़ी गाँव जिला फोन : श्री चंवलेश्वर पार्श्वनाथ जैन मन्दिर, चेनपुरा पोस्ट पारोली 311001. भीलवाड़ा (राजस्थान) : पी.पी. (श्वे.) 01482-24430 (भीलवाड़ा) 309
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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