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श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ भगवान-मेवा नगर
1223 में पुनः जीर्णोद्धार करवाने का उल्लेख मिलता है । वि. सं. 1280 में आलमशाह ने इस नगर पर भी चढ़ाई की । तब इस मन्दिर को भारी क्षति पहुँची। वि. की लगभग 15 वीं शताब्दी के आरंभ में इस मन्दिर के नवनिर्माण का कार्य पुनः प्रारंभ किया गया। कालीद्रह में स्थित नाकोरनगर की 120 प्राचीन प्रतिमाएँ यहाँ लाकर उसमें से श्री पार्श्वनाथ भगवान
की इस सुन्दर चमत्कारी प्रतिमा को मूलनायक के रूप में इस नवनिर्मित मन्दिर में वि. सं. 1429 में पुनः प्रतिष्ठित किया गया जो अभी विद्यमान है । मूल प्रतिमा नाकोरनगर की रहने के कारण इस तीर्थ का नाम नाकोड़ा प्रचलित हुआ ।
एक और मान्यतानुसार यह प्रतिमा, भाग्यवानसुश्रावक
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