SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लिया। उसी भान्ति यहाँ भी तंवर राजा व प्रजा जैन धर्म के उपासक होकर उनके द्वारा कई मन्दिरों का निर्माण हुवा माना जाता है उसी में का यह भी एक मन्दिर होना माना जाता है । कहा जाता है कि मन्दिर निर्माण के समय यहाँ के मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान थे। प्रतिमा पन्ने की थी । लगभग विक्रम की तीसरी सदी के समय किसी कारणवश वह प्रतिमा यहाँ से अलोप हुई मानी ज है । न मालुम किसी भय के कारण भूतल कर दी गई या कहाँ गई, उसका पता नहीं । बीच-बीच में और भी जीर्णोद्धार हुवे । वर्तमान मूलनायक भगवान की प्रतिमा ग्यारहवीं सदी में हुवे जीर्णोद्धार के समय की मानी जाती है। एक उल्लेखानुसार कहा जाता है कि श्रीपूज्यजी ने अपने चमत्कार द्वारा उपस्थित होकर जीर्णोद्धार के समय श्री वासुपूज्य भगवान व श्री पद्मप्रभु भगवान की प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित करवाई थी । यह कोनसे जीर्णोद्धार के समय की घटना है उसका पता नहीं । यह अनुसंधानीय है । अन्तिम जीर्णोद्धार वि. सं. 2041 में हुवा । अन्य मन्दिर इसके अतिरिक्त निकट ही श्री पद्मप्रभु भगवान का विशाल मन्दिर है । जो वि. सं. 911 में निर्मित माना जाता है । पूर्व में इस मन्दिर के मूलनायक भी श्री पार्श्वनाथ भगवान थे प्रतिमा कुछ जीर्ण होने के कारण प्रतिमाजी को मन्दिर के भन्डार गृह में रखा गया एवं जीर्णोद्धार के समय श्री पद्मप्रभु भगवान की प्रतिमा मूलनायक के रूप में विराजमान की गई जो आज विद्यमान है। निकट में एक दादावाड़ी भी है । कला और सौन्दर्य यहाँ के मन्दिरों की कला लगभग ओसियाँ व आबू देलवाड़ा आदि जगहों के भांति की हैं। मन्दिर में विराजित प्राचीन प्रतिमाएँ भी अतीव मनोरम व कलात्मक है जो दर्शनीय है । मन्दिर में काउसग्ग मुद्रा में दो प्रतिमाएँ कलात्मक है जो यहाँ की प्राचीनता को प्रमाणित करती है । मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक के रेल्वे स्टेशन ओसियाँ लगभग 20 कि. मी. व जोधपुर 42 कि. मी. है, जहाँ से टेक्सी, आटो की सुविधा उपलब्ध है । तिंवरी भी रेल्वे स्टेशन है । इस मन्दिर से तिंवरी रेल्वे स्टेशन व बस स्टेण्ड लगभग 1/2 / 2 कि. मी. है, जहाँ पर आटो की सुविधा उपलब्ध है। मन्दिर तक कार श्री वासुपूज्य भगवान-तिवरी व बस जा सकती है। जोधपुर में हवाई अड्डा है । सुविधाएँ मन्दिर के परिसर में ठहरने की व्यवस्था है। निकट ही पद्मप्रभुजी मन्दिर के पास भी धर्मशाला है, जहाँ बिजली, पानी, व ओढ़ने-बिछाने के वस्त्रों की सुविधा है। वर्तमान में भोजनशाला नहीं है परन्तु कहने पर पुजारी व्यवस्था कर देता है । पेढ़ी श्री जैन मन्दिर व दादावाड़ी ट्रस्ट, श्री वासुपूज्यस्वामीजी का मन्दिर, पोस्ट : तिंवरी - 342 306. जिला : जोधपुर (राजस्थान), फोन : पी.पी. 0291-620016 (जोधपुर) । 281
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy