SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ tial namaudelingui s Thdnidalmmanimooshaibidio नयाhitingtaitarai नागyि - Nachegiation नमुनsanilivan भन्डारीजी का पुण्य प्रबल था । उनकी इच्छानुसार एक अभूतपूर्व मन्दिर का नक्शा बनाया गया व कार्य प्रारम्भ हुआ । भानाजी ने अपने पुत्र श्री नरसिंह को इस कार्य के लिये रखा । कार्य संपूर्ण होने में ही था कि नरसिंहजी ने थैली उल्टी करके देखना चाहा । ज्यों ही थैली उल्टी, कि सारी मुद्राएँ बाहर आ पड़ी । नरसिंहजी भूल के लिए, पश्चाताप करने लगे । यतिजी को इससे अवगत कराया गया । यतिजी ने कहा कि जो होना था हो गया, पिताजी को कापरड़ा बुला लो। भानाजी को कापरड़ा बुलाकर सारे वृत्तान्तों से अवगत करवाया । भन्डारीजी को अत्यंत दुख हुआ लेकिन उपाय नहीं था । मन्दिर उनकी भावनानुसार पूरा न हो पाया, लेकिन काफी हद तक हो चुका था। पाली में विराजित परम पूज्य आचार्य श्री जिनचन्द्र सूरीश्वरजी के सुहस्ते प्रतिष्ठा करवाने का निर्णय लेकर उनसे विनती की गयी व इस मन्दिर के अनुरूप प्राचीन . प्रतिमा के लिए भी निवेदन किया गया । वि. सं. को पाईनाथायनमो नमा 1674 प्रभु के जन्म कल्याणक पौष कृष्णा 10 के शुभ दिन यहाँ के बबूलों की झाड़ी में प्रकट हुई प्रभु-प्रतिमा को श्री भानाजी भन्डारी द्वारा नवनिर्मित मन्दिर में वि. सं.1678 वैशाख शुक्ला पूर्णिमा के शुभ दिन जोधपुर नरेश श्री गजसिंहजी के उपस्थिति में आचार्य श्री जिनचन्द्र सूरीश्वरजी के हाथों बहुत ही विराट महोत्सव व अगणित जनसमुदाय के बीच प्रतिष्ठित किया गया। भक्तगण प्रभु को श्री स्वयंभू पार्श्वनाथ कहने लगे । शिखर के चारों मंजिलों में चौमुखजी विराजमान है। श्री स्वयंभू पार्श्वनाथ भगवान-कापरड़ा यह यहाँ की मुख्य विशेषता है । प्रति वर्ष चैत्र शुक्ला पंचमी को मेला भरता है । बिलाड़ा से 25 कि. मी., व जोधपुर से 50 कि. मी. अन्य मन्दिर 8 वर्तमान में इसके अतिरिक्त कोई दूर है । सभी जगहों से बस व टेक्सी की सुविधाएँ मन्दिर नहीं हैं । उपलब्ध है। जोधपुर-जयपुर मुख्य सड़क मार्ग पर यह कला और सौन्दर्य यहाँ के शिखर की कला तीर्थ स्थित है । अति ही दर्शनीय है । 95 फुट उत्तुंग यह शिखर पाँच सुविधाएँ ठहरने के लिए सर्वसुविधायुक्त मील दूरी से भी अत्यन्त ही सुन्दर दिखायी देता है । विशाल धर्मशाला है, जहाँ पर भोजनशाला सहित सारी इस शिखर की निर्मित कला अन्य शिखरों से भिन्न है। सुविधाएँ उपलब्ध हैं । सभा मण्डप में आकर्षक पुतलियाँ, गुम्बज के छत, रंग पेढ़ी 8 श्री जैन श्वेताम्बर प्राचीन तीर्थ, कापरड़ा मण्डप के स्तंभ व तोरणों की शिल्प कला भी पोस्ट : कापरड़ा - 342 605. तहसील : बिलाड़ा अनूठी हैं । जिला : जोधपुर, प्रान्त : राजस्थान, मार्ग दर्शन यह तीर्थ सड़क मार्ग द्वारा लगभग फोन : 02930-63909 व 63947. 271
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy