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________________ श्री मांडलगढ़ तीर्थ .. . तीर्थाधिराज श्री आदीश्वर भगवान, बादामी वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 70 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) । तीर्थ स्थल मांडलगढ़ किले में । प्राचीनता 8 मेवाड़ के अन्तर्गत मांडलगढ़ किले में इस मन्दिर का निर्माण किसने व कब करवाया उसके अनुसंधान की आवश्यकता है । संभवतः किले के निर्माण के समय ही हुवा हो जैसा कि प्रायः सभी जगह पाया जाता है क्योंकि हर जगह राजधानी बसाने में राजाओं को जैन श्रेष्ठीगणों का साथ व सहकार रहा है उसी भान्ति यहाँ भी हुवा हो । मन्दिर व प्रभु प्रतिमा की कलाकृति से पता लगता है कि इसका निर्माण लगभग नवमीं शताब्दी में हुवा होगा । पश्चात् कई बार जीर्णोद्धार भी अवश्य हुवे होंगे, परन्तु उनका कोई उल्लेख नहीं मिल रहा है । विशिष्टता है यहाँ की प्राचीनता की विशेषता के साथ-साथ मेवाड़ के अन्तर्गत भीलवाड़ा जिले का यह एक मुख्य प्राचीन तीर्थ स्थल रहने के कारण इसे मेवाड़ी श@जय कहते हैं । यह यहाँ की मुख्य विशेषता है। अन्य मन्दिर इसके निकट भगवान पार्श्वनाथ मन्दिर के नाम विख्यात एक और मन्दिर है,परन्तु इस मन्दिर में वर्तमान मूलनायक श्री महावीर भगवान है। संभवतः किसी समय कोई कारणवश प्रतिमा बदली गई हो । परन्तु इस मन्दिर हेतु मेवाड़ राज्य सरकार द्वारा अर्पित भूमि श्री पार्श्वनाथ भगवान के नाम पर है । इनके अतिरिक्त एक दिगम्बर जैन मन्दिर भी है । कला और सौन्दर्य ॐ चित्तौडगढ़ किले की भान्ति यह स्थान भी समुद्र की संतह से 1856 फीट की ऊँचाई पर है । इस किले का घेराव लगभग 4 मील का है व तीन तरफ तीन तालाबों से घिरा हुवा प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा एक आरोग्यधामसा है । मन्दिर के पीछे लगभग 12 कि. मी. पर दो प्रख्यात जलाशय, सागर व सागरी के नाम विख्यात हैं । अकाल में भी पानी का अभाव नहीं रहता । इसीके पास तीन नदियाँ, बनास-बडेच-मेनाल का त्रीवेणी संगम होता है जो मनमोहक है । श्री आदीश्वर भगवान-मांडलगढ़ Banera Sudrias Sanna / wan BEAUDTVDThikard BUNDI Kotri Sadner Debora 12 Kachoia kina udha Pohamnia Anampura Garda Mandalgarh (Knariou Suwasa Keshorai Patar alera V Digo Abhimka. Khera Barundhar Bholl Mangrop Akola Ngria KOTA Kethun A I -Ladpur Rupay Devya pamoura Powjolia fonryana parsaediox Wheri T abihanpura 262
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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