SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कहा जाता है कि अजमेर के संस्थापक राजा अजयपाल के पुत्र राजा अर्णोराज का परिवार श्री दादा गुरुदेव के उपदेश से प्रभावित होकर जैन धर्म के अनुयायी बनकर ओशवंश में मिला था । आज भी जगह-जगह से जैन-जैनेतर हमेशा दर्शनार्थ आते रहते हैं । आज भी दादागुरुदेव चमत्कारिक है व श्रद्धालु भक्तजनों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते है। प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ला ऐकादशी को वार्षिक मेले का आयोजन दादावाड़ी में होता है । अन्य मन्दिर इस मन्दिर के अतिरिक्त और 4 श्वे. मन्दिर एवं 8 दि. मन्दिर व उपरोक्त वर्णित एक दादावाड़ी है । __ कला और सौन्दर्य यहाँ के प्राचीन कलात्मक मन्दिरों का उल्लेख मिलता है परन्तु आज उन कलात्मक मन्दिरों के अवशेष जीर्णशीर्ण हालत में जहाँ-तहाँ दृष्ठी । गोचर होते हैं । दि. सोनी मन्दिर अतीव दर्शनीय है। यहाँ के म्यूजीयम में भी प्राचीन कलात्मक जैन प्रतिमाएँ व अवशेष दर्शनीय हैं । अजमेर के निकट खड़ली, हर्षपुर, पुष्कर आदि गांवों में भी प्राचीन कलात्मक अवशेष एवं शिलालेख पाये जाते है, जो इस क्षेत्र की प्राचीनता को सिद्ध करते है । मार्ग दर्शन यहाँ का रेल्वे स्टेशन अजमेर जंक्शन मन्दिर से सिर्फ 3 कि. मी. दूर है । शहर में सभी तरह की सवारी का साधन है । कार व बस मन्दिर तक जा सकती है । यहाँ से जयपुर 135 कि. मी., दिल्ली 375 कि. मी., जोधपुर 210 कि. मी., मेडता रोड़ 100 कि. मी. आगरा 280 कि. मी., व राजनगर 225 कि. मी. दूर है । हर स्थान पर सभी तरह की सवारी का साधन है। नजदीक का हवाई अड्डा जयपुर है । @ ठहरने के लिये दादावाड़ी विनयनगर में सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला है, जहाँ भोजनशाला की सुविधा भी उपलब्ध है । पेढ़ी श्री संभवनाथ भगवान मन्दिर, प्रबंध समिति : श्री जैन श्वे. श्री संघ लाखन कोटड़ी, पोस्ट : अजमेर - 305001. (राजस्थान), फोन : 0145-429461 (संभवनाथ मन्दिर), 0145-423530 (दादावाड़ी) । श्री संभवनाथ भगवान-अजयमेरु Rupnagar Mamana Sawarda nda DA. pegana 39 Marua Naraina Bachun Mahlan biad Dharsor Sursara. Sawarda S/Salemanad Harmara Sakhun Dudu8 Mozam Thonic H Manghrware Þdiana Madangani Kishangarh, Ursewa Sewa 9 Nir AJMER Pachhew Pisangan Kanpura Horia Bapanda Ganor Digai SoJeti kajgarh Nasirabad Gothiana Lamba Morla Baraj Rupuwat M RY Malpura Lumana Mangliawas " liharwarán Hindola JharwasaShokla Dabrela Miron Do - ~ Mala LArain Saraswati Srinagar Nagar Dadhia Dadhia l anor Bhaonta Ramsar Kagera AVG
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy