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श्री महावीर भगवान-स्वर्णगिरी (जालोर)
उल्लेखनीय है जिनका वर्णन करना शब्दों में संभव नहीं ।
यहाँ के उदयसिंह राजा के मंत्री यशोवीर ने वि. सं. 1287 में मंत्रीश्वर श्री वस्तुपाल तेजपाल द्वारा शोभनसूत्रधारों से निर्माणित आबू के लावण्यवसहि मन्दिर के प्रतिष्ठा महोत्सव में भाग लिया था । उस समय अन्य 84 राजा, अनेकों मंत्री व प्रमुख व्यक्ति हाजिर थे । यशोवीर शिल्पकला में निष्णात विद्वान होने के कारण इस अद्भुत मन्दिर में भी 14 भले बताई
थी, जिसपर उनकी विद्वता व अन्य गुणों की भारी प्रशंसा हुई थी । वि. सं 1741 में यहाँ के मंत्री मुणहोत जयमलजी के पुत्र श्री नेणसी जोधपुर के महाराजा श्री जसवंतसिंहजी के दीवान थे, जिन्होंने अपनी दिवानगिरि में भारी कुशलता दिखायी थी, जिसपर 'नेणसीजी री ख्यात' की रचना हुई जो कि आज भी जनसाधारण में प्रचलित है । इस तीर्थ के तीर्थोद्धारक प. पू. राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. की भी यह साधना भूमि हैं ।
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