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अन्य मन्दिर इसके अतिरिक्त स्वर्णगिरि पर्वत जगहों से बस व टेक्सी की सुविधा है। किले पर पर किले में 4 मन्दिर एक गुरु मन्दिर व इसकी स्थित इस मन्दिर से तलहटी 272 कि. मी. व तलहटी तलहटी जालोर में 12 मन्दिर अभी विद्यमान है। किले से जालोर रेल्वे स्टेशन 3 कि. मी. है जहाँ से तलहटी पर चौमुखजी मन्दिर व पार्श्वनाथ मन्दिर प्राचीन हैं, तक आने के लिए आटो व टेक्सी का साधन जिन्हें अष्ठापदावतार मन्दिर व कुमार विहार मन्दिर उपलब्ध है । पहाड़ पर वयोवृद्ध यात्रियों के जाने के भी कहते हैं । जालोर में श्री नेमीनाथ भगवान के लिए डोली का साधन है । मन्दिर में वि. सं. 1656 में प्रतिष्ठित अकबर
एँ ठहरने के लिए गाँव में कंचनगिरि प्रतिबोधक श्री विजयहीरसूरीश्वरजी की गुरुमूर्ति है । विहार धर्मशाला व नन्दीश्वर द्वीप मन्दिर की धर्मशाला नवनिर्मित श्री नन्दीश्वर द्वीप मन्दिर अति ही सुन्दर है, जहाँ पर बिजली, पानी, बर्तन, ओढ़ने-बिछाने के बना हुआ है।
वस्त्र व भोजनशाला की सुविधा उपलब्ध हैं । दुर्ग पर कला और सौन्दर्य समुद्र की सतह से भी मन्दिर के निकट ही भोजनशाला सहित लगभग 1200 फुट ऊँचे पर्वत पर 272 कि. मी. लम्बे सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला व मुनि भगवन्तों के लिए व 174 कि. मी. चौड़े प्राचीन किले के परकोटे में उपाश्रय की सुविधा है । मन्दिरों का दृश्य अति ही सुहावना लगता है, जो कि पेढ़ी 8 श्री स्वर्णगिरि जैन श्वेताम्बर तीर्थ, पूर्व सदियों की याद दिलाता है । यहाँ मन्दिरों व (जालोर दूर्ग) कार्यालय :- कचनगिरि विहार धर्मशाला मस्जिदों में अनेकों प्राचीन प्रतिमाएँ व कलात्मक पुराने बस स्टेण्ड के सामने। अवशेष आज भी दिखायी देते हैं ।
पोस्ट : जालोर - 343 001. मार्ग दर्शन यहाँ से भाण्डवपुर तीर्थ 56 कि. जिला : जालोर, प्रान्त : राजस्थान, मी. राणकपुर लगभग 100 कि. मी. नाकोड़ाजी तीर्थ फोन : 02973-32316 (दूर्ग आफिस) लगभग 100 कि. मी. जोधुपर 140. कि. मी. व
02973-32386 (कंचनगिरि विहार आफिस) मान्डोली लगभग 35 कि. मी. दूर है । इन सभी
मन्दिर-समूह का दृश्य-स्वर्णगिरि (जालोर)
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