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________________ महाराष्ट्र, कर्णाटक, कोंकण आदि अनेकों स्थानों में जगह-जगह पर मन्दिर निर्मित करवाने का उल्लेख है । यहाँ के सम्पन्न श्रावकों द्वारा यहाँ और भी कई मन्दिरों का निर्माण अवश्य हुवा होगा परन्तु वर्तमान में स्थित मन्दिरों में यह मन्दिर प्राचीनतम माना जाता है । इस मन्दिर का लगभग सौ वर्ष पूर्व जीर्णोद्धार होकर वि. सं. 1958 माघ शुक्ला 13 गुरुवार के शुभ दिन आचार्य भगवंत गुरुदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी के करकमलों द्वारा पुनः प्रतिष्ठा होने का उल्लेख है । उसके पश्चात् भी जीर्णोद्धार होने का उल्लेख है । प्रभु प्रतिमा वही प्राचीन अभी भी विद्यमान है । विशिष्टता कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य भगवंत श्री हेमचन्द्राचार्य के करकमलों द्वारा प्रतिष्ठित व महाराजा श्री कुमारपाल द्वारा निर्मित प्राचीन व भव्य मन्दिर रहने के कारण यहाँ की मुख्य विशेषता है । परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय राजेन्द्रसुरीश्वरजी म.सा. ने विश्व विख्यात "राजेन्द्र अभिधान कोष” के लेखन कार्य का शुभारंभ वि. सं. 1946 में यहीं पर रहकर किया था । प्रतिवर्ष आषाढ़ कृष्णा 6 को ध्वजा चढ़ाई जाती है । अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त श्री आदिनाथ भगवान का एक और मन्दिर हैं । प्राचीन प्रभु प्रतिमा अतीव कला और सौन्दर्य भावात्मक व कलात्मक है । पहाड़ी की ओट में रहने के कारण मन्दिर का दृश्य अतीव सुन्दर लगता है । मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन बागरा 16 कि. मी. व जालोर 36 कि. मी. है, जहाँ पर सभी प्रकार की सवारी का साधन है । यहाँ से सिरोही 41 कि. मी., मान्डोली 11 कि. मी., पाली 151 कि. मी., शिवगंज 67 कि. मी. दूर है । सुविधाएँ ठहरने के लिये सर्वसुविधाजनक धर्मशाला है, जहाँ भोजनशाला की भी सुविधा है । पेढ़ी श्री सुविधीनाथ मन्दिर जैन पेढ़ी, पोस्ट : सियाणा - 343024. जिला : जालोर, प्रान्त राजस्थान, फोन : 02973-40083 (पेढ़ी), 02973-40025, 40101 पी. पी. O BECH श्री सुविधिनाथ भगवान - सियाणा BRON 411
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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