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________________ श्री लाज तीर्थ तीर्थाधिराज ॐ श्री आदीश्वर भगवान, श्वेत वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 55 सें. मी. (प्राचीन मूलनायक) (श्वे. मन्दिर)। तीर्थ स्थल 8 लाज गाँव के मध्य विशाल परकोटे में । प्राचीनता इस मन्दिर के एक स्थंभ पर वि. सं. 1244 माघ शुक्ला 6 का लेख उत्कीर्ण है । इससे यह सिद्ध होता है कि यह मन्दिर वि. सं. 1244 के पूर्व का है । ____ अन्तिम जीर्णोद्धार वि. सं. 1977 में होकर धनारी के श्रीपूज्यजी श्री महेन्द्रसुरीश्वरजी के सुहस्ते प्रतिष्ठा संपन्न हुई । वर्तमान मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान श्री आदीश्वर भगवान-प्राचीन मूलनायक अन्य मन्दिर र वर्तमान में इसके अतिरिक्त कोई मन्दिर नहीं हैं । कला और सौन्दर्य प्रभु प्रतिमा की कला अति सौम्य व निराले ढंग की है । मार्ग दर्शन 8 नजदीक का रेल्वे स्टेशन सिरोही रोड़ 11 कि. मी. है, जहाँ से आटो, टेक्सी की सुविधा है। यहाँ से कोजरा 3 कि. मी. है । कार व बस मन्दिर तक जा सकती है । सुविधाएँ मन्दिर के निकट ही धर्मशाला है, जहाँ पर बिजली, पानी की सुविधा है । निकट के तीर्थ बामनवाइजी या नान्दिया ठहरकर यहाँ आना ज्यादा उपयुक्त है क्योंकि वहाँ पर सारी सुविधाएँ उपलब्ध है। पेढ़ी 8 श्री जैन देरासर पेढ़ी, लाजगाँव पोस्ट : कोजरा - 307 022. तहसील : पिन्ड़वाड़ा, जिला : सिरोही, प्रान्त : राजस्थान, फोन : पी.पी - 02971-33380. श्री आदीश्वर भगवान मन्दिर-लाज 412
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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