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विद्यमान है । इस प्रतिमा पर वि. सं. 1269 में श्री शान्तिसूरिजी द्वारा प्रतिष्ठित होने का लेख उत्कीर्ण है। हो सकता है श्री हेमाचन्द्राचार्य के उपदेश से यह प्रतिमा बनवायी गयी हो व प्रतिष्ठा श्री शान्तिसूरिजी के सुहस्ते हुई हों । श्री सरस्वती देवी के चमत्कार प्रख्यात हैं । अभी भी अनेकों जैन-जैनेतर विद्या प्राप्ति के लिए जो भावना भाते हैं उनकी मनोकामना सिद्ध होती है । यह तीर्थ छोटी मारवाड़ पंचतीर्थी का एक स्थान है। वर्तमान में लगभग 70 वर्ष पूर्व आबू के योगीराज विजय श्री शान्तिसूरिजी ने भी यहाँ के निकट जंगलों में कठोर तपश्चर्या की थी व मार्कन्डेश्वर में सरस्वती देवी की आराधना करने पर श्री सरस्वती देवी साक्षात् प्रकट हुई थी । विजय श्री शान्ति सूरीश्वरजी के रहने का वह स्थान मार्कन्डेश्वर में अभी भी यथावत् है । कविवर कालीदास की भी यह जन्मभूमि है । ___ प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णीमा को मेले का आयोजन होता है व वैशाख शुक्ला पंचमी को ध्वजा चढ़ाई जाती है ।
अन्य मन्दिर 8 वर्तमान में इसके अतिरिक्त कोई मन्दिर नहीं है । मार्कन्डेश्वर में श्री सरस्वती देवी का मन्दिर यहाँ से लगभग 112 कि. मी. दूर है ।
कला और सौन्दर्य 888 बावनजिनालय मन्दिर की कला अति दर्शनीय है । सारी प्रतिमाएँ राजा संप्रति काल की अति ही सुन्दर व मनमोहक हैं । इस मन्दिर में व मार्कन्डेश्वर में सरसवती देवी की प्रतिमाएँ अति प्रभावशाली हैं । सरस्वती देवी की इतनी प्राचीन व प्रभावशाली प्रतिमाओं के दर्शन अन्यत्र दुर्लभ हैं ।
मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन सिरोही रोड़ 5 कि. मी. है । बामनवाइजी तीर्थ से यह स्थल 12 कि. मी. नान्दिया तीर्थ से 10 कि. मी. व पिन्डवाड़ा से 3 कि. मी. दूर है । मन्दिर तक पक्की सड़क है ।
सुविधाएँ ठहरने के लिए मन्दिर के निकट धर्मशाला है । परन्तु अभी तक खास सुविधा नहीं है अतः पिन्डवाड़ा या बामनवाड़जी में ठहरकर आना ज्यादा उपयुक्त है । जहाँ सारी सुविधाएँ उपलब्ध है ।
पेढ़ी शेठ कल्याणजी सोभागचंदजी जैन पेढ़ी, पोस्ट : अजारी - 307 021. जिला : सिरोही, प्रान्त : राजस्थान, फोन : 02971-20028. (पिन्डवाडा) पी.पी.
श्री महावीर भगवान-अजारी
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