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पार्श्वचन्द्र गच्छ के संस्थापक श्री पार्श्वचन्द्र सूरिजी महाराज की जन्म भूमि यही है, जिनका जन्म सोलहवीं सदी में हुआ था ।
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पट्टधर 1576 में
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तपागच्छीय श्री इन्द्रनं दिसूरिजी श्री सौभाग्यनंदिसूरिजी ने यहीं पर वि. सं. श्री मौन एकादशी की कथा रची थी एनसाइक्लोपेडिया ऑफ आर्ट” में भी इस मन्दिर का उल्लेख है । अन्य मन्दिर अतिरिक्त तीन और मन्दिर हैं ।
वर्तमान में यहाँ पर इसके
कला और सौन्दर्य यहाँ की कला अद्वितीय है । मन्दिर के स्तंभों पर वि. सं. 1550 से 1556 के जीर्णोद्धार के महत्वपूर्ण लेख अंकित हैं । मन्दिर की करधनी हाथी की है जो पल्लवकालीन कला का श्रेष्ठ नमूना है, चारों और यक्ष गन्धर्व, किन्नर एवं देवी-देवताओं की महत्वपूर्ण आकृतियाँ उत्कीर्ण है । तीनों तरफ
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छटायुक्त पहाड़ियों के मध्य स्थित इस मन्दिर का शांत वातावरण, अति ही सुन्दर प्राकृतिक दृश्य एवं मन्दिर के सन्मुख सूर्य अस्त का दृश्य निहारने योग्य है ।
मार्ग दर्शन नजदीक का रेल्वे स्टेशन सिरोही रोड़ 32 कि. मी. व आबू रोड़ 60 कि. मी. है, नजदीक बड़ा शहर सिरोही 18 कि. मी. है । इन स्थानों पर बस व टेक्सी की सुविधाएँ उपलब्ध है। मन्दिर तक कार व बस जा सकती हैं ।
ठहरने के लिए सर्वसुविधायुक्त दो
सुविधाएँ धर्मशालाएँ व ब्लाक है। जहाँ भोजनशाला की भी सुविधा है । पेढ़ी
पोस्ट : मीरपुर - 307001. जिला सिरोही, प्रान्त राजस्थान, फोन : 02972-86737 पी.पी.
Marzo 20
शेठ कल्याणजी परमानन्दजी पेढ़ी, मीरपुर
श्री भीड़भंजन पार्श्वनाथ भगवान-मीरपुर
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