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________________ श्री वीरवाड़ा तीर्थ तीर्थाधिराज श्री महावीर भगवान, पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण, लगभग 90 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) । तीर्थ स्थल वीरवाडा गाँव के बाहर जंगल में पहाड़ी की ओट में । प्राचीनता 8 वीरवाड़ा का इतिहास अति प्राचीन प्रतीत होता है । इसका प्राचीन नाम वीरपल्ली रहने का भी उल्लेख मिलता है । यहाँ के श्रेष्ठियों द्वारा वि. सं. 1208 में यहाँ से नजदीक कोटरा गाँव में मन्दिर निर्माण करवाने का उल्लेख मिलता हे । वि. सं. 1410 में इस मन्दिर के जीर्णोद्धार होने का उल्लेख मन्दिर के एक स्थंभ पर उत्कीर्ण है । वि. सं. 1499 में मेघ कवि द्वारा रचित 'तीर्थमाला' में वि. सं. 1745 में श्री शीलविजयजी द्वारा रचित "तीर्थमाला” में वि. सं. 1755 में श्री ज्ञानविमलसूरिजी द्वारा रचित 'तीर्थ माला' में इस तीर्थ का उल्लेख हैं। विशिष्टता यह तीर्थ प्रभु वीर के समकालीन होने का संकेत मिलता है । प्रतिमा पर कोई लेख उत्कीर्ण नहीं है । प्रतिमा की शिल्पकला से ही प्राचीनता सहज ही में सिद्ध हो सकती है । यहाँ के श्रेष्ठियों द्वारा जगह-जगह पर मन्दिर निर्माण करवाने के उल्लेख मिलते हैं । लगता है, किसी समय यह एक विशाल समृद्धशाली नगर रहा होगा । आजू बाजू के बीसलगनर, कोटरा आदि वीरवाड़ा के अंग रहे होंगे । आबू के महान योगिराज विजय श्री शांतिसूरीश्वरजी महाराज को आचार्य पद पर यहीं विभुषित किया गया था । अन्य मन्दिर * वर्तमान में इसके अतिरिक्त गाँव में एक और भव्य बावन जिनालय मन्दिर हैं । जहाँ के वर्तमान मूलनायक श्री संभवनाथ भगवान है व ऊपरी मंजिल में श्री विमलनाथ भगवान विराजमान हैं। ___ कला और सौन्दर्य * गाँव के बाहर पहाड़ी की ओट में निर्मित इस मन्दिर का दृश्य अत्यन्त मनोरम लगता है । प्रभु वीर की प्रतिमा अति ही प्रभावशाली, सुन्दर व गंभीर है । गाँव में श्री विमलनाथ भगवान के मन्दिर में बावन देवरियों में सुन्दर प्राचीन प्रतिमाएँ अति ही दर्शनीय हैं । आजू-बाजू बीसलनगर, कोटरा, वीरोली आदि गाँवों में प्राचीन खण्डहर जैन मन्दिरों के कलात्मक अवशेष दिखायी देते हैं । वीसलनगर में स्थित प्राचीन खण्डहर जैन मन्दिर को वसीया मन्दिर कहते हैं । मार्ग दर्शन 8 नजदीक का रेल्वे स्टेशन सिरोही श्री महावीर जिनालय-वीरवाड़ा 384
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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