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________________ विशिष्टता पल्लीवाल गच्छ का उत्पत्ति स्थान यही है। इस गाँव के नाम पर ही पल्लीवाल ओशवाल नाम पड़ा । वि. सं. 969 में संडेरक गच्छाचार्य श्री यशोभद्रसूरीश्वरजी को आचार्य पदवी से यहीं पर विभूषित किया गया था । प्रारम्भ से ही यह स्थान जाहोजलालीपूर्ण रहा । यहाँ के श्रावकों ने धर्म प्रभावना के अनेकों कार्य किये जो आज भी उनके धर्मनिष्ठा की याद दिलाते हैं । प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ला 3 के दिन ध्वजा चढ़ाई जाती है । भाखरी मन्दिर पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन मेला भरता है । __ अन्य मन्दिर इस मन्दिर के अतिरिक्त गाँव में 10 और मन्दिर व 4 दादावाड़ियाँ हैं । गाँव के बाहर पुनागिरी टेकरी पर श्री पार्श्वनाथ भगवान का मन्दिर है, जो भाखरी मन्दिर के नाम से विख्यात हैं । कला और सौन्दर्य * प्रभु-प्रतिमा की कला अति ही सुन्दर है । इसी मन्दिर में कई प्राचीन सुन्दर आकर्षक प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं । मार्ग दर्शन * यह स्थल जोधपुर-अजमेर मार्ग पर है । यहाँ से जोधपुर लगभग 70 कि. मी. दूर है। पाली स्टेशन मन्दिर से लगभग 3 कि. मी. है जहाँ से टेक्सी व आटो की सुविधा है । बस स्टेण्ड आधा कि. मी. हैं । मन्दिर तक पक्की सड़क है । आखिर तक कार व बस जा सकती है । - सुविधाएँ ठहरने के लिए धर्मशाला है । जहाँ पानी, बिजली, बर्तन, ओढ़ने-बिछाने के वस्त्र व भोजनशाला की सुविधा हैं । पेढ़ी श्री नवलचंद सुव्रतचंद जैन पेढ़ी, गुजराती कटला । पोस्ट : पाली - 306 401. जिला : पाली, प्रान्त : राजस्थान, फोन : 02932-21747 (मुख्य पेढ़ी) 02932-21929 (मन्दिर) । HINORITIES श्री नवलखा पार्श्वनाथ भगवान - पाली 361
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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