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________________ उपयोग में लाया जाता है । उक्त भोयरे में प्रवेश द्वार पर आचार्य श्री की मूर्ति विराजमान है व अखण्ड ज्योति 1775 वर्षों से प्रज्वलित हैं। वादिवेताल श्री शान्तिसूरिजी ने श्री मुनिचन्द्रसूरिजी को यहीं पर न्यायशास्त्र का अभ्यास कराया था । वि. सं. 1049 में यहाँ के राजा श्री लाखणसी के पुत्र दादराव ने प्रकाण्ड विद्वान आचार्य श्री यशोभद्रसूरिजी से यहीं पर दीक्षा ग्रहण की थी । ग्यारहवी शताब्दी में इस नगर के राजा ने मंत्री श्री विमलशाह को सोने का सिंहासन भेंट किया था । भन्डारी व कोठारी गोत्र का उत्पत्ति स्थान नाडोल माना जाता है । अन्य मन्दिर इसके अतिरिक्त तीन और मन्दिर हैं, जिनमें श्री नेमिनाथ भगवान का मन्दिर अति प्राचीन माना जाता है। भोयरा भी इसी में हैं, जिसमें श्री मानदेवसूरिजी ने 'लघुशान्ति' स्तोत्र की रचना की थी । कला और सौन्दर्य इस मन्दिर में व श्री नेमिनाथ भगवान के मन्दिर में प्राचीन कलात्मक प्रतिमाओं का दर्शन होता हैं । इसी मन्दिर में एक सूर्य भगवान की प्रतिमा व एक ही कसौटी का बना अखण्ड, छोटा, चौमुखा, प्राचीन मन्दिर अति ही सुन्दर व कलात्मक हैं। भगवान महावीर के प्राचीन मन्दिर के खण्डहरों से तीन विशाल प्रभावशाली जिन प्रतिमाएँ प्राप्त हुई थीं, जिनकी प्रतिष्ठा वि. सं. 2014 में इसी मन्दिर में हुई, जो अति ही दर्शनीय है। गाँव के पास कई प्राचीन अवशेष व बावड़ियाँ नजर आती है। अगर शोध की जाय तो काफी प्राचीन इतिहास व कलात्मक अवशेष मिलने की सम्भावना है । मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन रानी लगभग 18 कि. मी. है । यहाँ से फालना 50 कि. मी. नाडलाई 10 कि. मी. व मुछाला महावीरजी 22 कि. मी. दूर है। कार व बस मन्दिर तक जा सकती हैं । सुविधाएँ ठहरने के लिए मन्दिर के निकट ही सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला है, जहाँ भोजनशाला की भी सुविधा उपलब्ध है । पेढ़ी श्री जैन श्वेताम्बर देवस्थान पेढ़ी, पोस्ट : नाडोल 306603. स्टेशन : रानी जिला : पाली (राज.), फोन : 02934-40044. श्री पद्मप्रभ भगवान- नाडोल 347
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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