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________________ श्री वरकाणा तीर्थ तीर्थाधिराजश्री पार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण, लगभग 30 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) । तीर्थ स्थल वरकाणा गाँव के मध्य । प्राचीनता शास्त्रों में इसका प्राचीन नाम वरकनकपुर व करकनकनगर बताया है । प्राचीन काल में यह समृद्ध व विशाल नगरी थी व अनेकों जिन मन्दिर थे, ऐसा उल्लेख मिलता हैं । महाराणा कुंभा के समय श्रीमालपुर के श्रेष्ठी ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया था । प्रतिमाजी पर कोई लेख नहीं हैं । नवचौकी के एक स्तम्भ पर वि. सं. 1211 का लेख उत्कीर्ण है । दरवाजे के बाहर वि. सं. 1686 का एक शिलालेख है । विजयदेवसूरिजी द्वारा मेवाड़ के राणा श्री जगतसिंहजी से यहाँ का यात्री कर माफ करवाने का उल्लेख है । यह प्रतिमा लगभग वि. सं. 515 में प्रतिष्ठित हुई मानी जाती हैं । यह तीर्थ गोड़वाल पंचतीर्थी का एक तीर्थ माना जाता है । 'सकल तीर्थ स्तोत्र' में इस तीर्थ का उल्लेख है । आचार्य श्री विजयवल्लभसूरिजी के शिष्य आचार्य श्री विजयललितसरिजी की प्रेरणा से बना हुआ यहाँ का छात्रालय व छात्रावास का कार्य सराहनीय है । प्रतिवर्ष पौष कृष्णा 10 को मेला लगता है । अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त अन्य कोई मन्दिर नहीं है । ___ कला और सौन्दर्य * प्रभु प्रतिमा की कला अपना विशिष्ट स्थान रखती है । शिखरों पर बनी शिल्पकला भी अपनी अनुपम कला का उदाहरण प्रस्तुत करती है। मार्ग दर्शन ® यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन रानी 7 कि. मी. व फालना लगभग 25 कि. मी. है, जहाँ से बस व टेक्सी की सुविधा उपलब्ध है । यहाँ का बस स्टेण्ड सिर्फ 100 मीटर है । मन्दिर तक पक्की सड़क है । कार व बस जा सकती हैं । सुविधाएँ ® ठहरने के लिए मन्दिर के पास ही धर्मशाला है, जहाँ बिजली, पानी, बर्तन, ओढ़ने-बिछाने के वस्त्र, भोजनशाला एवम् भाते की सुविधा है । पेढ़ी 8 श्री पार्श्वनाथ जैन देवस्थान पेढ़ी वरकाणा तीर्थ । पोस्ट : वरकाणा - 306601. जिला : पाली (राज.), फोन : 02934-22257. AAAAAOM SIOEवनाथ पार्श्वप्रभु जिनालय-वरकाणा 348
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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