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कलात्मक गुम्बज
ही जाता है और इन मूक आकृतियों की भावभंगिमा को समझने में तन्मय हो जाता है । __ इस मन्दिर में उत्तर की ओर रायणवृक्ष व उस के नीचे भगवान ऋषभदेव के चरणचिह्न हैं, जो श्री शत्रुजय महातीर्थ की याद दिलाते हैं । मन्दिर में श्री सम्मेतशिखर, अष्टापद (अपूर्ण), नंदीश्वरद्वीप, शत्रुजय व गिरनार की रचना की गई है । इसके अलावा मन्दिर में सहसफणा पार्श्वनाथ तथा सहस्रकूट के जो कलापूर्ण शिलापट्ट बने हैं, वे भी निराली ही भावना पैदा करते हैं । ___ मन्दिर की सबसे अनोखी विशेषता उसकी विभिन्न कलायुक्त विपुल स्तंभावली है । कुल 1444 स्तंभ बताये जाते हैं, लेकिन गिनना कठिन है । इस मन्दिर को स्तंभों की महानिधि या स्तंभों का नगर कह सकते हैं । जिस ओर दृष्टि डाले उस ओर छोटे, बड़े, मोटे, पतले, विभिन्न कोरणी से उभरे हुए स्तंभ ही स्तंभ नजर आते हैं । शिल्पियों ने स्तंभों की सजावट ऐसे व्यवस्थित ढंग से की है कि मन्दिर के किसी भी कोने में खड़ा भक्त प्रभु के दर्शन कर सकता है । मेघनाथ मंडप में प्रवेश करते समय बायें हाथ के एक स्तंभ पर मंत्री धरणाशाह व स्थपति श्री देवा की प्रभु सन्मुख कोरी हुई आकृतियाँ में इन दोनों महानुभावों को देखते हैं तो मंत्री की भक्ति की कला व स्थपति की कला की भक्ति के सामने भक्त का सिर झुके बिना नहीं रहता ।
मन्दिर में कईनेक तलघर बनाये हुए हैं । इन तलघरों में बहुत सी जिनप्रतिमाएँ हैं ।
आबू के मन्दिर अपनी कोरणी के लिए विश्व-विख्यात हैं, तो राणकपुर के मन्दिर की कोरणी भी कुछ कम नहीं है । फिर भी जो बात प्रेक्षक का ध्यान विशेष आकर्षित करती है वह है इस मन्दिर की विशालता। जनसमूह में “आबू की कोरणी व राणकपुर की। मांडणी” यह कहावत भी प्रसिद्ध है । इस मन्दिर की निर्माण शैली बिलकुल निराली व विश्वविख्यात है । मन्दिर का बाहरी दृश्य जैसे अपनी अलग ही शान रखता है, वैसे इस के अन्दर के कलापूर्ण दृश्य भी अपना अद्भुत नमूना पेश करते हैं ।
इस मन्दिर के अतिरिक्त श्री नेमिनाथ भगवान व श्री पार्श्वनाथ भगवान के मन्दिर की शिल्पकला अपना अलग ही स्थान रखती है ।
कोई मानव इस ढंग के प्राकृतिक सौन्दर्य से ओत-प्रोत स्वर्गलोक के नलिनीगुल्मविमान जैसा कलात्मक जिन मन्दिर के दर्शन करने का अवसर न चूकें ।
मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन फालना लगभग 35 कि. मी. दूर है। बड़ा गाँव सादड़ी 9 कि. मी. | सिरोही, बाली, पाली व जालौर इन सब स्थानों से भी बसें व टेक्सियाँ उपलब्ध है । उदयपुर, आबु, जालोर व नाकोड़ा से यहाँ के लिए सीधी बसें चलती है । मन्दिर से बस स्टेण्ड सिर्फ 100 मीटर दूर है । मन्दिर तक पक्की सड़क है । आखिर तक कार व बस जा सकती है । नजदीक का हवाई अड्डा उदयपुर 90 कि. मी. व जोधपुर 170 कि. मी. दूर है।
सुविधाएँ * ठहरने के लिए मन्दिर के निकट ही सर्वसुविधायुक्त विशाल धर्मशाला है, व एक दुसरी धर्मशाला भी है । इनके अतिरिक्त यहाँ सर्वसुविधायुक्त गेस्ट हाऊस भी बने हुए है । यहाँ पर पानी, बिजली, बर्तन, ओढ़ने-बिछाने के वस्त्र, भोजनशाला व भाते की सुविधा उपलब्ध है ।
पेढ़ी 8 शेठ श्री आनन्दजी कल्याणजी पेढ़ी, राणकपुर तीर्थ । पोस्ट : सादड़ी - 306 702. जिला : पाली, प्रान्त : राजस्थान, फोन : 02934-85019. सादड़ी कार्यालय : 02934-85021.
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