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________________ विश्व रचना, व्यवस्था का परिदृश्य एवं संतुलन की सुई है कि कई व्यक्ति अपनी-अपनी शक्ति का संचय करके संघ, संस्था या समाज की रचना करते हैं तो वह संगठन इतना शक्ति सम्पन्न हो जाता है कि उसके संगठक सदस्यों को भी उस संस्था के अनुशासन के अन्तर्गत कार्य करना होता है। इस प्रकार समाज की शक्ति व्यक्ति को नियंत्रित करने लगती है, यद्यपि उसका अस्तित्व व्यक्तियों के समूह से ही उत्पन्न होता है। व्यक्तियों की शक्ति का जुड़ाव और उसके सम्यक् विभाजन पर ही सारे विश्व की व्यवस्था आधारित है। यों व्यक्ति पर सब कुछ आधारित होने के उपरान्त भी संगठन की शक्ति उससे ऊपर होती है, जो उसे नियंत्रित भी करती है तो उसके सर्व आयामी विकास का दायित्व भी निभाती है। यही विश्व व्यवस्था का रहस्य है, व्यक्ति की शक्ति और उस शक्ति के संचय का भी। व्यक्ति, विश्व एवं अनेकानेक संगठनों की गत्यात्मक कार्य प्रणाली : व्यक्ति, विश्व एवं अनेकानेक संगठन-ये सब संपूर्ण विश्व-व्यवस्था के भागीदार हैं। इसे एक उदाहरण से समझें। कल्पना करें कि विश्व एक सबसे बड़ा गोला है। उस गोले में अनेक मध्यम आकार के गोले हैं तो असंख्य छोटे आकार के गोले। ये गोले (रिंग टाईप) ऐसे हैं जो बड़े गोले में स्वतंत्र रूप से भी चक्कर लगाते रहते हैं तो एक दूसरे के भीतर होकर भी गुजरते हैं । गोलों का यह आवागमन और भ्रमण निरन्तर चलता रहता है। यह जब तक सहज भाव से चलता है तो कोई व्यवधान पैदा नहीं होता, लेकिन यदि ये गोलें आपस में टकराने लगे अथवा अपने भीतर से गुजरने के मार्ग को रोक दें तो बाधाएं खड़ी होती हैं। बाधाओं को कोई पसन्द नहीं करता है और उन्हें हटाना चाहता है। तब आपस की लगातार टक्करों से एक दूसरे गोले क्षत-विक्षत होते हैं तो अवधि से पहले ही जर्जर होने लगते हैं। इन टक्करों में छोटे-बड़े गोले टूटते रहते हैं और मत्स्य न्याय चल पड़ता है कि जो जितना ताकतवर, वह अपने ये छोटे गोलों को तोडता रहे. अनशासन समाप्त हो जाए और अराजकता फैल जाए। स्थिति हद से बाहर बिगड़ जाए तो मध्यम आकार के गोले विस्फोटक बन सकते हैं और सबसे बड़े गोले को घातक हानि पहुँचा सकते हैं। ऐसे में असंख्य होते हुए भी कई बार छोटे गोले दुर्बल और असहाय बन जाते हैं। परंतु यह सदा सत्य रहता है कि सारी व्यवस्था का क्रम फिर से तभी सुचारु बन सकता है जब छोटे-छोटे गोले ही क्रम की कड़ियों को आपस में जोड़ने के कठिन काम में जुटते हैं। इस रूपक को विश्व-व्यवस्था पर घटाइये। छोटे गोले का रूप है व्यक्ति और विभिन्न आकार व प्रकार के संगठनों (जाति, समाज, धर्म, राज्य, मानव सेवा आदि अनेक विषयों से संबंधित) को मध्यम आकार के गोले मानलें। इस आकार में राज्य व राष्ट्र की सरकारों अथवा संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे वृहदाकार अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों को भी शामिल कर लें। सबसे बड़ा गोला विश्व ही है। विश्वव्यवस्था का यही पिरामिड है। ___ बड़े गोले में सभी गोले अपनी-अपनी मर्यादानुसार भ्रमण करते रहें तो विकास की श्रेणियों में उत्थान होता रहता है, व्यक्ति का भी और विश्व का भी। परंतु संपूर्ण अनुशासन कठिन होता है, फिर भी एक सीमा तक अनुशासनहीनता सही जा सकती है। उसके बाद अव्यवस्था और अन्त में 29
SR No.002327
Book TitleSucharitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
PublisherAkhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
Publication Year2009
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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