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सुचरित्रम
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अपने भावों को गीत-प्रगीत के रूप में प्रकट करती रहती है। कुछ गीत-प्रगीत मैंने विशेष रूप से चरित्र निर्माण अभियान की दृष्टि से रचे हैं, जिनके द्वारा सभी संबंधित वर्गों को आह्वान किया गया है वे इस अभियान को अपना पूर्ण योग दें। अभियान के निमित्त से किए जाने वाले आयोजनों और प्रभातफेरी आदि के कार्यक्रमों में ये गीत-प्रगीत नवोत्साह-संचार के कारक बन सकते हैं। विशेष रूप से बहन और बच्चे वैचारिक लेख आदि की अपेक्षा भावमय गीत-प्रगीत के माध्यम से निहित भावनाओं को अधिक सहजता से समझते हैं। 1. चरित्र निर्माण अभियान का स्वरूप दर्शक गीत :
__ (तर्ज : जिया बेकरार है...) चरित्र शक्ति महान है, सच्ची यह पहचान है चरित्रनिष्ठ नियमों से, निश्चित जन-जन का उत्थान है
चरित्र शक्ति... जात पांत का, ऊंच नीच का नहीं भेद है इस दल में संयमित नियमित रहने की ही प्रबल प्रेरणा है इस क्रम में परम पुनीत अभियान है, शुभतम श्रेष्ठ विधान है
चरित्रनिष्ठ नियमों... || 1 || आत्मिक शक्ति प्रकटे इससे, तन, मन, तेजस्वी बन जाएं नैतिक आध्यात्मिक बल बढ़ता सद्गुण सारे आ जाएं शाश्वत सुख की खान है, जीवन का निर्माण है
___ चरित्रनिष्ठ नियमों... ||2|| विकार भाव से मुक्त बनें, संस्कार जगे--यह नारा है अज्ञान अंधेरा दूर रहे, जीवन का नव उजियारा है मानव की यह शान है, वरना यह है वान है
चरित्रनिष्ठ नियमों... || 3॥ अपना उन्जत हो चरित्र, तो जग उन्नत बन जाए परिवार, समाज और राष्ट्र सभी की सुरव सम्पदा बढ़ जाए विद्वानों का ज्ञान है, उरखना इसका मान है
चरित्रनिष्ठ नियमों... ||4|| चरित्रशील, चरित्रनिष्ठ, चरित्रलीन प्रसाधन है दद्धिगत हो सबमें सबका--यही धर्म आराधन है मुक्ति का सोपान है, चरित्रवान भगवान् है
___ चरित्रनिष्ठ नियमों... ॥ 5॥ वैज्ञानिक युग में ज्ञान बढ़ा, चरित्र पिछड़ता क्यों जाए
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