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नव-जागरण का बहुआयामी कार्यक्रम
2. मैं धार्मिक, सामाजिक तथा अन्य क्षेत्रों में वैभव प्रदर्शन और रूढ़िचुस्त रस्मों को बढ़ावा देने वाला
कोई काम नहीं करूँगा/करूँगी। सादा जीवन, उच्च विचार के मर्म को स्वयं आत्मसात करके
सर्वत्र उसका प्रचार-प्रसार करूँगा/करूँगी। 3. मैं व्यापार, व्यवसाय, नौकरी आदि में पूर्ण नैतिकता, सही हिसाब, ग्राहकों व श्रमिकों के साथ सद्व्यवहार एवं संबंधित सभी कानूनों का ईमानदारी से पालन करूँगा/करूँगी और जीवन के
अन्य व्यवहार में भी अधिकतम सच्चाई के साथ सभी कार्य करूँगा/करूँगी। 4. मैं अपने लिए उपभोग-परिभोग की वस्तुओं की मर्यादा (वार्षिक) ग्रहण करके शेष का परित्याग
करूँगा/करूंगी तथा अपनी आयु का अधिकतम भाग धार्मिक एवं पारमार्थिक कार्यों में लगाऊँगा/ लगाऊँगी। चरित्र निर्माण अभियान में सेवा हेतु अधिकतम समय भी दूंगा/दूंगी (मर्यादा एवं समय
की स्पष्ट घोषणा की जाए)। 5. मैं सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन में शुद्धि, एकता एवं समानता लाने की दृष्टि से अपने मताधिकार __का सही प्रयोग करते हुए अवैध चुनावी गतिविधियों का विरोध करूँगा/करूँगी एवं किसी भी __ प्रकार की विषमता व विकृति के विरुद्ध डटकर संघर्ष करूँगा/करूँगी। 6. मैं पारिवारिक सुख और शांति के लिए पारस्परिक तालमेल व त्याग पर बल देते हुए सन्तान (नई
पीढ़ी) की संस्कारिता, शिक्षा, चरित्र निर्माण एवं वृत्ति शुद्धि की तरफ पूरा ध्यान दूंगा/दूंगी। 7. मैं ऐसा अग्रिम निर्देश दूंगा/दूंगी कि मेरे मरणोपरान्त मृत्युभोज न किया जाए, नेत्र एवं अन्य उपयोगी अंगों का दान किया जाए तथा मेरे पार्थिव शरीर को अन्तिम क्रिया से पहले अधिक समय तक न रखा जाए।
इन सात प्रतिज्ञाओं का संक्षिप्त नामकरण इस प्रकार है-1. चरित्र एवं आचरण विकास, 2. सादा जीवन, उच्च विचार, 3. धनार्जन नीति से, काम सच्चाई से, 4. वस्तु मर्यादा एवं त्याग वृत्ति, 5. सर्वत्र शुद्धिकरण के प्रयास, 6. संतान की संस्कारपूर्ण शिक्षा-दीक्षा तथा 7. मरणोपरान्त निर्देश। -
तृतीय चरण की परीक्षा : प्रथम चरण के समान इस चरण की भी प्रक्रिया चलेगी तथा प्रमाणपन्न 'चरित्रलीन' के अलंकरण से युक्त होगा।
विशेष : चरित्र निर्माण अभियान के संविधान में यह प्रावधान होगा कि प्रत्येक 'चरित्रशील' चरित्र निर्माण अभियान महासभा का, प्रत्येक 'चरित्रनिष्ठ' महासभा एवं क्षेत्रीय कार्यकारिणी का तथा प्रत्येक 'चरित्रलीन' महासभा, अपने क्षेत्र की कार्यकारिणी एवं केन्द्रीय कार्यकारिणी का स्वतः ही स्थायी सदस्य हो जाएगा। अभियान के आयोजनों व प्रभातफेरी आदि के कार्यक्रमों में उत्साह का संचार करने वाले गीत-प्रगीतः
सुचिन्तित विचार लेख, भाषण आदि के रूप में अभिव्यक्त होते हैं तो संवेदनशील भाव काव्यात्मक रूप में व्यक्त होकर जन-जन के हृदय में उत्साह का संचार करते हैं। मेरी लेखनी
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