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________________ सुचरित्रम् .. बेशर्मी भी शरमा जाए। हकीकत में शासकों-प्रशासकों में भ्रष्टता की शर्म धृष्टता की बेशर्मी से बदल चुकी है और नौकरशाह तो जनसंवेदना से अब तक भी अछूते ही हैं। आम आदमी त्रस्त है, कुंठित है और असहाय है। एक आकलन के अनुसार भ्रष्टाचार के पांच द्वार हैं-1. बाबू (क्लर्क, अफसर, नौकरशाह), 2. नेता (राजनेता, समाज नायक आदि), 3. लाला (व्यवसायी, उद्योगपति, व्यापारी आदि), 4. झोन (गैर सरकारी संस्थाएं, दलाल, एजेन्ट आदि) तथा 5. दादा (अपराधी, माफिया आदि) यों भ्रष्टाचार की परिस्थिति बनी है बाबू, नेता, लाला, झोला और दादा की बपौती। भ्रष्टाचार को दूसरा नाम है बेईमानी। ईमान का मतलब आन्तरिकता-आत्मा की आवाज। जब किसी भी कार्य की क्रिया-प्रतिक्रिया होती है तब उसे करने या न करने के बारे में भीतर से आवाज उठती है जो सच्ची होती है, लेकिन स्वार्थ, लालच या किसी भी कारण वश वह आवाज दबा दी जाती है और मनमानी की जाती है। असल में यही मनमानी बेईमानी होती है। इस बेईमानी को बारीकी से समझने के लिये विख्यात इंजीनियर एम. विश्वेसरैया का उदाहरण लिया जा सकता है। उनका मानना था कि चरित्र निर्माण तथा बांध निर्माण दोनों एक से जिम्मेदारी भरे काम होते हैं। आज का ठेकेदार तो उनकी इस आदत का मखौल उड़ाएगा कि विश्वेसरैया अपनी जेब में हमेशा दो फाउन्टेन पेन रखा करते थे-एक सरकारी पेन सरकारी काम के लिए और दूसरा निजी पेन निजी काम के लिए तथा दोनों का प्रयोग कठोरतापूर्वक तदनुसार ही किया जाता था। एक तो यह उदाहरण है और दूसरा आज की भ्रष्ट जलवायु का उदाहरण हो सकता है। आज का कोई भी मोटा नौकरशाह जो बाहर से चरित्रशील होने का स्वांग करता है और भीतर से करोड़ों की राशियां डकार जाने में भी कतई परहेज नहीं करता। एक पेन की ईमानदारी और दूसरी करोड़ों की बेईमानी-क्या कहा जाए बेईमानी के लिए? पिछले दिनों अंग्रेजी के एक बड़े दैनिक ने भ्रष्टाचार के शर्मनाक आंकड़े दिये थे कि देश में शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश पाने के लिए कितना डोनेशन या रिश्वत देनी पड़ती है? नमूना देखिए-नामवर स्कूल में प्रवेश दिल्ली में 2 लाख रुपये या अधिक, बैंगलोर में मेडिकल या इंजीनियरिंग में 1 से 5 लाख रूपये और पटना में इसी के लिए 10 लाख रूपये। प्रश्न पत्र आउट कराने के लिए मुंबई में 1 लाख रूपये तो पटना में 2 लाख रू.। सरकारी नौकरियां पाने के लिए दिल्ली में ट्रेन्ड टीचर 2.5 लाख रू., बैंगलोर में पुलिस इन्सपेक्टर 2 से 5 लाख रूपये, चंडीगढ़ में चपरासी 1 लाख और टीचर 4 लाख रूपये, पटना में हर तरह की नौकरी के तबादले के लिए 20 से 50 हजार रूपये। देश की ऐसी दुर्दशा चरित्रहीनता की कितनी हदें पार कर रही हैं-अतीव गंभीरता से सोचने और भावी कार्यक्रम निश्चित करने की वेला है। भ्रष्टाचरण के इस विषैले वातावरण में सदाचरण का बीज वपन कैसे किया जाए, कैसे उसका अंकुरण हो, कैसे पौधे पनपे और उस पर चरित्र के फूल महकें? यह आज ही सोचना होगा, कल शायद बहुत देर हो जाए। चरित्र के सर्वनाश के मूल में है धन-सत्ता लूटने का पागलपन : 'विज्ञान ने अपने नये-नये अनुसंधानों एवं आविष्कारों के माध्यम से राष्ट्रों, समाजों एवं अन्य सभी प्रकार के संस्थानों के नायकों को अवसर दिया कि वे वैज्ञानिक प्रगति का पूरा लाभ उठाते हुए सर्वत्र गरीबी, अशिक्षा, पिछड़ेपन आदि से आम लोगों को छुटकारा दिलाने तथा सबको समानता के 360
SR No.002327
Book TitleSucharitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
PublisherAkhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
Publication Year2009
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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