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________________ दुर्व्यसनों की बाढ़ बहा देती है चरित्र निर्माण की फलदायी फसल को उसके कमजोर पड़ते संकल्प को बार-बार सहारा देकर सफल बनाना होगा। व्यसन मुक्ति के संकल्प - काल में सभी दिशाओं में व्यसनी व्यक्ति को प्रेरणा और सहायता मिलती रहनी चाहिए, तभी उसका पूरा सुधार शक्य बनता है। व्यसनी को निर्व्यसनी बनाने के लिए चरित्र निर्माण अभियान के कर्मियों को अपना व्यवहार सद्भाव तथा सहानुभूति से भरा-पूरा रखना चाहिए। उसमें घृणा या अरूचि का अंश न रहे। इसे एक नैतिक व सामाजिक धर्म मानना चाहिए। घर-घर जाकर अलख जगानी होगी और उपलब्ध प्रचार साधनों का श्रेष्ठ उपयोग करना होगा। निर्व्यसन जीवन चरित्र निर्माण तथा विकास की आधारभूमि है - यह सत्य सामने रखना होगा। पुनर्चेतन पुनर्चेतन के बीज बोने होंगे व्यसनी जीवन की भाव भूमि में : व्यसनी जीवन का सत्य नष्ट होता रहता है, किन्तु यह एक लम्बी प्रक्रिया होती है और उसके बीच में कई मुकाम ऐसे होते हैं, जिन पर रचनात्मक उपाय काम में लिए जाएं तो व्यसनी के सोए हुए चैतन्य को पुनर्चेतन किया जा सकता है। चरित्र निर्माण अभियान में इसी पुनर्चेतन कार्य को सर्वाधिक महत्त्व दिया जाना चाहिए। व्यसनी जीवन की भाव भूमि सर्वथा बंजर नहीं हो जाती है और उसी भूमि पर सद्भाव एवं सहानुभूतिपूर्वक पुनर्चेतन के बीज बोने होंगे और उसके अंकुरण एवं पल्लवन पर इतना अधिक ध्यान देना होगा कि वे वृक्ष का रूप धर कर उस व्यसनी जीवन के सारे विष को पी जावें, जैसे कि सामान्य वृक्ष वातावरण के विषैलेपन को पी जाते हैं तथा प्राणवायु का अमृत बिखेरते हैं। पुनर्चेतन होकर वह व्यसनी जीवन इस प्रकार की अमृतमयता में परिवर्तित हो सकता है। चरित्र निर्माण अभियान के व्यसन मुक्ति कार्यक्रम का यह नारा बनना और कार्यान्वित होना चाहिए- 'व्यसनों को छोड़ें, जीवन को सुखों की ओर मोड़े।' देश की अनेक समस्याओं में आज़ की विकट समस्या है चरित्र निर्माण की, क्योंकि चरित्रशीलता के अभाव में ही सब ओर भ्रष्टाचारिता, कर्त्तव्यहीनता तथा स्वार्थपरता का वातावरण छाया हुआ है और इसी वातावरण का विषैला भाग है। लोगों की व्यसनाधीनता। इसलिए व्यसनमुक्ति की प्राथमिकता सर्वोच्च मानी जानी चाहिए। जब तक व्यसन नहीं छूटेंगे, चरित्र निर्माण की सफलता संदिग्ध ही रहेगी और आगे की बात सब जानते हैं कि चरित्र नहीं सुधरेगा तो जीवन का कोई भी क्षेत्र सुधर नहीं सकता है। व्यक्ति से लेकर विश्व तक की उन्नति चरित्र-निर्माण एवं विकास पर निर्भर करती है। अतः निर्व्यसन जीवन की महत्ता को सब स्वीकारें और व्यसनमुक्ति को आंदोलन का रूप दें। तम्बाकू ए-अफीम की खेती ही हो बंद, जिससे मिटे करोड़ों के दुःख द्वन्द : अनेक तरह के नशीले पदार्थे बनाए जाते हैं तम्बाकू और अफीम से और ये दोनों खेती की उपज हैं। एक ओर जहाँ नशेड़ियों का नशा छुड़ाने की कोशिशें की जाए, वहाँ यह मांग भी जोरों से उठाई जानी चाहिए कि तम्बाकू और अफीम खेती ही कानूनन बंद करवा दी जाए ताकि 'न रहे बांस और न बजे बांसुरी' । यह ठीक है कि किन्हीं ऐलोपेथी की दवाओं में अफीम का उपयोग होता है, 321
SR No.002327
Book TitleSucharitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
PublisherAkhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
Publication Year2009
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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