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________________ सुचरित्रम् • धर्म अलोकप्रिय होता है धर्म के नाम पर की जाने वाली कट्टरता की कार्यवाहियों से • धर्म-धारण से चरित्रशीलता पनपती है और धर्म के नाम पर सिर्फ चरित्रहीनता 29. सामाजिक प्रवाह की गतिशीलता व निरन्तरता हेतु हो बदलाव • कृति का स्वर्ण युग और प्रतिकृति का लम्बा अंधकार - काल • चरित्रहीनता का तमस मिटे और परिवर्तन के प्रकाश में सत्कृति उभरे • सत्कृति में फिर से भरने होंगे, कृति के चमचमाते रंग • नई पीढ़ी का नींव से निर्माण बने सत्कृति के चरित्र की पहचान • धर्म, अहिंसा और लोकतंत्र से मिश्रित बने भावी जीवनशैली • 'स्व' के अनुसंधान से उभरेगा लालिमायुक्त चारित्रिक नवोदय 30. सुदृढ़ संकल्प बिना चमत्कार असंभव • संकल्प सुदृढ़ हो तो विचार क्या, कल्पना भी साकार हो जाती है। • संकल्प - यात्रा में भय का सामना तन-बल से नहीं, मन-बल से • आपदा कितनी भी बड़ी या कड़ी क्यों न हो, साध्य को सदैव याद रखो • चरित्रहीनता के चक्रव्यूह को तोड़ो, संकल्प से, संस्कार से, सदाशय से • सामाजिक अन्याय को मिटाने से मिटेगी चरित्रहीनता • हीनता का उत्तर होता है सम्पन्नता अतः चरित्र सम्पन्नताही प्रधान साध्य 31. संकल्पित, समर्पित व सर्वस्व सौंपने की तत्परता ही युवा की पहचान • युवाजन अपना व्यक्तित्व प्रचंड बनावें, एक मशाल से अनेक मशालें जलावें • आत्म-नियंत्रण, मनोबल एवं संतुलन में है स्वस्थ विकास का रहस्य • जीवन के सार्थक प्रयास, प्रतिभा का प्रस्फुटन एवं युवा शक्ति • जागृति एवं कर्मठता की चुनौती का उत्तर मिलेगा आत्मा की आवाज में • युवाओं में क्षमता होती है अपने और दूसरों के चरित्र को उज्जवल बनाने की • चरित्र सम्पन्नता के लिए युवा व्यक्तित्व भी है तो संस्थान भी 32. चरित्र को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने हेतु सद्भाव जरूरी ● मनुष्य जाति एक है, उसे खण्ड-खण्ड से अखण्ड बनावें • सीमा रहित विश्व के निर्माण हेतु अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की दिशा • पहले सुलझानी होगी विचार संघर्ष की जटिल समस्या को XXX • नया अर्थशास्त्र भी होना चाहिए विषमताओं को समाप्त करने वाला • सामाजिकता हजार जिह्वाओं से बोले, पर मूल जिह्वा एक हो • चरित्र सम्पन्नता का लक्ष्य बने विश्वस्तरीय चरित्र का गठन 33. नई सकारात्मक छवि उभरनी चाहिए धर्म-सम्प्रदायों की ) सच्चा धर्म सदा शुभतामय, पर सम्प्रदाएँ भी शुभता की वाहक थी क्यों गिरी सम्प्रदाएँ अपने दायित्वों से और क्यों अशुभता की कारण बनीं ? > बाहर की भूल-भुलैया से निकल कर सकारात्मक छवि बनाने की जरूरत • किन उपायों से ढाली जा सकती है धर्म-सम्प्रदायों की छवि ? 372 373 375 376 378 380 382 384 386 388 390 391 393 395 397 399 401 402 404 406 409 410 412 414 416 417 419 421 424 426 428 430 432 433 435
SR No.002327
Book TitleSucharitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
PublisherAkhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
Publication Year2009
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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