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अक
कग x कम + क ग
अक
=
+
अ
इ
=
आबाध इक =
कग x कम; अ ग = क ग ग म
अ क + अ ग ग म = क ग ( क म + ग म ) = क ग क ग = क गरे कोटि' + भु
कग अक' + क ग
=
क गरे
कोटि – भु' = कर्ण;
कर्ण; - कोटि = भुज;
जात्य त्रिभुज का क्षेत्रफल निम्न प्रकार से निकाला जाएगा
लं± = भु'
* _S{X
=
क
=
'- (भू'-भु')
अ इ उ त्रिभुज में लघुभुज = भु; बृहद्भुज = भुं; भूमि = भू; अ क = लम्ब; छोटी
भू - (भुं' - भु)
'भू
(-5)} = {3 +7-(3-3)},
भू' (भुं'–भु)
भु
'भु
भु
१. देखें - गणितसारसंग्रहान्तर्गत क्षेत्र व्यवहाराध्याय का त्रिभुज प्रकरण ।
બ
X
.
=
कर्ण;
(भु'–भुं'-भु)
भू
इस प्रकार जैनाचार्यों ने सरलरेखात्मक आकृतियों के निर्माण, क्षेत्रफलों के जोड़ तथा आकृतियों के स्वरूप आदि बतलाये हैं । अतः गणितसारसंग्रह के क्षेत्राध्याय पर से रेखागणित सम्बन्धी निम्न सिद्धान्त सिद्ध होते हैं
(१) समकोण त्रिभुज में कर्ण का वर्ग भुज और कोटि के वर्ग के योग के बराबर होता है' ।
(२) वृत्तक्षेत्रफल का तृतीयांश सूची होती है ।
प्रस्तावना : १६