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________________ करें। सूर्य की स्थिति के अनुसार इस चक्र का फल समझें । यदि अश्व के मुख में सूर्य नक्षत्र हो तो विजय, लाभ और सुख होता है। शनि नक्षत्र यदि अश्वचक्र के कान, पूँछ, पैर या पीठ में रहे तो दुःख, हानि और पराजय होता है। यदि उपर्युक्त स्थान में सूर्य नक्षत्र रहे तो वस्त्रादि का लाभ होता है । आचार्य द्वारा कथित प्रकरण का तात्पर्य यह है कि यदि प्रश्नाक्षर आलिंगित समय में उत्तराक्षर उत्तरस्वर संयुक्त हों तो चवर्ग के होने पर भी चवर्ग यवर्ग को प्राप्त हो जाता है अर्थात् जिस वस्तु के सम्बन्ध में प्रश्न है, उसका नाम य वर्ग के अक्षरों में समझना चाहिए । पूर्वोक्त सिंहावलोकन क्रम से अभिघातित च वर्ग के होने पर चवर्ग कवर्ग को प्राप्त होता है । अर्थात् उक्त प्रश्नस्थिति में वस्तु का नाम क वर्ग के अक्षरों में समझना चाहिए । मण्डूकप्लवन क्रम से जब अभिधूमित चवर्ग प्रश्नाक्षर - वर्गाक्षर आएँ, उस समय वह पवर्ग को प्राप्त हो जाता है । अश्वमोहित क्रम से जब दग्ध प्रश्नाक्षरों में चवर्ग आए, उस समय वह पवर्ग को प्राप्त हो जाता है । सिंहावलोकन क्रम से चवर्ग के प्राप्त होने पर मण्डूकप्लवन रीति से अवर्ग को प्राप्त हो जाता है । गजावलोकन क्रम से उत्तराक्षर उत्तर स्वरसंयुक्त प्रश्नाक्षरों के होने पर चवर्ग अवर्ग को प्राप्त हो जाता है । इस प्रकार चवर्ग विभिन्न प्रश्नस्थितियों के अनुसार विभिन्न वर्गों को प्राप्त होता है। इस प्राप्ति का प्रधान लक्ष्य वर्गाक्षरों का निष्कासन है । अवर्ग पञ्चक के द्वारा प्रश्नवाक्य का स्वरूप निर्धारण करने में बड़ी भारी सहायता मिलती है । अतः प्रश्न यथार्थ फल निरूपण के लिए उक्त प्रणाली की जानकारी आवश्यक है । 1 तवर्ग चक्र विचार तवर्गे आलिङ्गिते यवर्गं नद्यावर्त-क्रमेण प्राप्नोति । तवर्गेऽभिधूमिते शवर्ग शशदृशा' (सिंहदृशानुक्रमेण प्राप्नोति । तवर्गे दग्धेऽवर्ग जन (गज) विलोकितक्रमेण प्राप्नोति । तवर्गे आलिङ्गिते उत्तराक्षरे उत्तरस्वरसंयुक्ते चवर्गं सिंह दृशानुक्रमेण प्राप्नोति । तवर्गेऽभिघातिते टवर्गं भेकप्लुत्या' प्राप्नोति । इति तवर्गचक्रम् । अर्थ - आलिंगित त वर्ग के प्रश्नाक्षर होने पर त वर्ग नद्यावर्त क्रम से यवर्ग को प्राप्त होता है। अभिधूमित तवर्ग के प्रश्नाक्षर होने पर सिंहावलोकन क्रम से तवर्ग शवर्ग को प्राप्त होता है । दग्ध प्रश्नाक्षरों में तवर्ग के होने पर गजविलोकित क्रम से प्रश्न का तवर्ग अवर्ग को प्राप्त होता है । उत्तराक्षरों- क ग ङ च ज ञ ट ड ण त द न प ब म य ल व स ह के उत्तर स्वरसंयुक्त होने पर आलिंगित काल के प्रश्न में तवर्ग सिंहावलोकन क्रम से चवर्ग १. शशाङ्का क. मू. । शशकारिदृशा - क. मू. । २. गज- क. मू. । ३. शशकारिदृशा । ता. मू. । ४. अनुक्रमेण प्राप्नोति - इति पाठो नास्तिक. मू. 1 ५. मण्डूक- प्लवनगत्या - ता. मू. । केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि : १५५
SR No.002323
Book TitleKevalgyan Prashna Chudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages226
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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