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का नाश करता है। यदि लग्नेश शत्रुराशि में हो या नीचस्थ हो तथा धनेश नीचस्थ होकर छठे स्थान में स्थित हो तो धनक्षति होती है।
शुभाशुभ प्रश्न विचार अथ शुभाशुभमाह-अभिधूमितमात्रायां संयुक्ताक्षरे दीर्घायुः। प्रश्नेऽभिधातितेषु दीर्घमरणमादिशेत् सङ्कटमात्रा संयुक्ताघराक्षरेषु रोगो भवति। दीर्घस्वर संयुक्तोत्तराक्षरेषु दीर्घरोगो भवति। अघोमात्रासंयुक्तोत्तराक्षरेषु देवताक्रान्तस्य मृत्युभवति। अधरोत्तरेषु धात्वक्षरेषु अभिधूमितस्वरसंयुक्तेषु श्रीभ्यो मृत्युर्भवति। एते स्वरसंयुक्तेषु ।
अर्थ-शुभाशुभ प्रकरण को कहते हैं। प्रश्नाक्षरों में आद्य प्रश्नवर्ण अभिधूमित मात्रा से संयुक्त व्यंजन हो तो दीर्घायु होती है। प्रश्न में आद्य प्रश्नाक्षर अभिघातित वर्ण हो तो कुछ समय के बाद मृत्यु; संकट मात्राओं-अ इ ए ओ से युक्त अधराक्षरों-ख छ घ झठ ढथ ध फ भ र व ष ह में से कोई वर्ण आध प्रश्नाक्षर हो तो पृच्छक को रोग होता है। आ ई ऐ औ इन मात्राओं से युक्त उत्तराक्षरों-क ग ङ च ज ञ ट ड ण त द न प ब म य ल श स में से कोई वर्ण आद्य प्रश्नाक्षर हो तो लम्बी बीमारी-बहुत समय तक कष्ट देनेवाला रोग होता है। अधोमात्राओं-आ ई ऐ औ से संयुक्त उत्तराक्षर-क ग ङ च ज ञ ट ड ण त द न प ब म य ल श स में से कोई वर्ण आद्य प्रश्नाक्षर हो तो देव के द्वारा पीड़ित होने-भूत, प्रेत द्वारा आविष्ट होने से मृत्यु होती है। अधरोत्तर धात्वक्षरों में-त थ द ध प फ ब भ व स इन वर्गों में अभिधूमित-अ ई ऐ औ स्वरों के संयुक्त होने पर स्त्रियों से मृत्यु होती है। ह्रस्व स्वर संयुक्त दग्ध प्रश्नाक्षर हों तो शत्रुओं के द्वारा या शस्त्रघात से मरण होता है।
विवेचन-आचार्य ने इस शुभाशुभ प्रकरण में पृच्छक की आयु का विचार किया है। प्रश्नाक्षरवाले सिद्धान्त के अनुसार प्रश्नश्रेणी में आध वर्ण आलिंगित मात्रा हो तो रोगी का रोग यत्नसाध्य, अभिधूमित मात्रा हो तो कष्टसाध्य एवं दग्ध मात्रा हो तो मृत्यु फल कहना चाहिए। पृच्छक के प्रश्नाक्षरों में आध वर्ण आ ई ऐ औ इन मात्राओं से संयुक्त संयुक्ताक्षर हो तो पृच्छक की दीर्घायु कहनी चाहिए। यदि आध प्रश्नवर्ण क्या, ख्या, ग्या, घ्या, च्या, छ्या, ज्या, झ्या, ट्या, ठ्या, ड्या, ब्या, त्या, थ्या, द्या, ध्या, न्या, प्या, फ्या, व्या, भ्या, म्या, य्या, रया, ल्या, व्या; श्या, ष्या, स्या, और ह्या, इनमें से कोई हो तो दीर्घायु, क्वि, खि, ग्वि, वि, च्चि, थ्वि ज्वि, शिव, ट्वि, ड्वि, दिव, त्वि, थ्वि, वि, ध्वि, न्वि, प्वि, पिव, ब्बि स्वि म्वि, वि, रिर्व, ल्वि, वि, शिव, ष्वि, स्वि और हि इन वर्गों में से कोई भी वर्ण हो तो प्रश्नकाल
१. प्रश्ने दशाभिघातितेषु-क. मू.। २. स्त्रीभ्यो मृत्युर्भवति-तपत इत्यर्थः-क. मू.। . ३. एते ह्रस्वस्वर संयुक्तेषु...। इत्त मुन्दे अल्प इल्ल...क. मू.। ४. बृहज्ज्योतिषार्णवस्य चन्द्रोन्मीलनप्रकरणं तथा चन्द्रोन्मीलनप्रश्नस्य द्वादशतमं प्रकरणं च द्रष्टव्यम्।
केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि : १४७