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१. कृत्तिका २. रोहिणी
३. मृगशिरा ४. आर्द्रा
५. पुनर्वसु
६. पुष्य ७. आश्लेषा
१ विष्कम्भ २ प्रीति
३ आयुष्मान् ४ सौभाग्य
५ शोभन
६ अतिगण्ड
७ सुकर्मा
८. मघा
६. पूर्वाफाल्गुनी
१०. उत्तराफाल्गुनी
११. हस्त
१२. चित्रा
१३. स्वात १४. विशाखा
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८ धृति
६ शूल
१० गण्ड
११ वृद्धि
१२ ध्रुव
नक्षत्रनामावली
वारानयन के लिए - ४३८ पिण्ड में ७ ध्रुवांक + ५८ क्षेपांक + १०६ वर्गांक ४३८ + ७ + ५८ + १०६ = ६०६ ÷ २७ = २२ लब्धि, ५ शेष, ५वाँ वार गुरुवार हुआ ।
योग नामावली
१३ व्याघात
१४ हर्षण
१५. अनुराधा
१६. ज्येष्ठा
१७. मूल
१८. पूर्वाषाढ़ा
१८. उत्तराषाढ़ा
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२०. श्रवण
२१. धनिष्ठा
१५ वज्र
१६ सिद्धि
१७ व्यतीपात
१८ वरीयान्
१६ परिघ
२० शिव
२१ सिद्ध
२२. शतभिषा २३. पूर्वाभाद्रपद
२४. उत्तराभाद्रपद
२५. रेवती
२६. अश्विनी
२७. भरणी
योगानयन - ४३८ + २० + ५८ + १०६ = ६२२ = २७ = २३ लब्धि, १ शेष पहला योग विष्कम्भ हुआ ।
लग्नानयन के लिए प्रक्रिया - ४३८ पिण्डांक + २१ ध्रुवांक + ५७ क्षेपांक + १०६ वर्गांक ४३८ +२१+ ५७ + १०६ = ६२२ ÷ १२ ५१ लब्धि, शेष १०, मेषादि गणना की तो १०वीं लग्न मकर हुई । यहाँ कुल स्वर - व्यंजन संख्या प्रश्नाक्षरों की १३ है, अतः मकर लग्न के १३ अंश लग्न राशि के माने जायेंगे ।
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२२ साध्य २३ शुभ
२४ शुक्ल
२५ ब्रह्म
२६ ऐन्द्र
२७ वैधृति
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ग्रहानयन
सूर्यानयन - ४३८ पिण्डांक + ३० सूर्य ध्रुवांक + १०३ सूर्य क्षेपांक + ५१ वर्गांक ४३८ + ३० + १०३ +५१ ६२२ ÷ १२ = ५१ लब्धि, १० शेष, अतः मकर राशि का सूर्य है। यहाँ इतना और स्मरण रखना होगा कि मास संख्या और सूर्य राशि की समता के लिए मास संख्या में एक जोड़ना या घटाना होता है।
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चन्द्रानयन - ४३८ +१३+ ० + ५३
५०४ ÷ १२ = ४२ लब्धि, ० शेष, मेष से गणना करने पर बारहवीं संख्या मीन की हुई, अतः मीन राशि का चन्द्रमा है ।
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केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि : १४१