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प्रश्नांक हुआ। इसमें नामाक्षर जोड़ने हैं-पृच्छक का नाम मनोहरलाल है-अतः नाम वर्गों की ६ संख्या भी प्रश्नांकों में जोड़ी तो ४३२ + ६ = ४३८ पिण्डांक हुआ। इसमें जन्म संवत् निकालने के लिए संवत्सर का ध्रुवांक ३२ जोड़ा तो ४३८ + ३२ = ४७० हुआ। इसमें संवत्सर का क्षेपांक जोड़ा तो ४०० + १०८ = ५७८ पिण्ड हुआ। इसमें ६० का भाग दिया, तो ५७८ * ६० = ६ लब्धि और ३८ शेष अर्थात् ३८वाँ संवत्सर क्रोधी हुआ। अतः जातक का जन्म क्रोधी संवत्सर में समझना चाहिए। संवत्सरों की गणना प्रभव से की जाती है।
संतत्सरबोधक सारणी
१प्रभव ११ ईश्वर २१ सर्वजित् ३१ हेमलम्ब ४१ प्लवंग ५१ पिंगल २ विभव १२ बहुधान्य २२ सर्वधारी ३२ विलंबी ४२ कीलक ५२ कालयुक्त ३ शुक्ल १३ प्रमाथी २३ विरोधी ३३ विकारी ४३ सौम्य ५३ सिद्धार्थी ४ प्रमोद १४ विक्रम २४ विकृति ३४ शार्वरी ४४ साधारण ५४ रौद्र ५ प्रजापति १५ वृष २५ खर ३५ प्लव ४५ विरोधकृत् ५५ दुर्मति ६ अंगिरा १६ चित्रभानु २६ नंदन. ३६ शुभकृत ४६ परिधावी ५६ दुन्दुभि ७ श्रीमुख १७ सुभानु २७ विजय ३७ शोभन ४७ प्रमादी ५७ रुधिरोद्गारी ८ भरण १८ तारण २८ जय ३८ क्रोधी ४८ आनंद ५८ रक्ताक्षी ६ युवा १६ पार्थिव २६ मन्मथ ३६ विश्वावसु ४६ राक्षस ५६ क्रोधन १० धाता २० व्यय ३० दुर्मुख ४० पराभव ५० नल ६० क्षय
पिण्डांक ४३८ में मासानयन के लिए उसका ध्रुवांक, क्षेपाक और वर्गांक जोड़ा तो ४३८ + ८ + ५६ + ५३ = ५५५ मास पिण्ड हुआ। इसमें १२ का भाग दिया तो ५५५ * १२ = ४६ लब्धि, ३ शेष रहा है। मासों की गणना मार्गशीर्ष से ली जाती है। अतः गणना करने पर तीसरा मास माघ हुआ। इसलिए जातक का जन्म माघ मास में हुआ कहना चाहिए।
पक्ष विचार के लिए यदि प्रश्नाक्षरों में समय संख्यक मात्राएँ हों तो शुक्लपक्ष और विषमसंख्यक मात्राएं हों तो कृष्ण पक्ष समझना चाहिए। प्रस्तुत उदाहरण में ६ मात्राएँ हैं, अतः समयंख्यक मात्राएँ होने के कारण शुक्लपक्ष का जन्म माना जाएगा।
तिथ्यानयन के लिए पिण्डांक ४३८ में तिथि के ध्रुवांक, क्षेपांक और वर्गांक जोड़े तो ४३८ + १० + ६० + ५३ = ५६१ पिण्ड हुआ, इसमें १५ का भाग दिया तो ५६१ + १५ = ३७ लब्धि, ६ शेष, यहाँ प्रतिपदा से गणना की तो षष्ठी तिथि आयी।
नक्षत्रानयन के पिण्डांक में नक्षत्र के ध्रुवांक, क्षेपांक, वर्गांक जोड़े तो ४२८ + ७ + ७३ + १०६ = ६२४ पिण्ड, ६२४ : २७ = २३ लब्धि, ३ शेष, कृत्तिकादिसे नक्षत्र गणना की तो इरी संख्या मृगशिर नक्षत्र की आयी, अतः मृगशिर जन्मनक्षत्र हुआ।
१४० : केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि