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अं वर्ण कृष्णपक्ष की पंचमी का बोधक और अः कृष्णपक्ष की त्रयोदशी का बोधक है। ख वर्ण कृष्णपक्ष की प्रतिपदा का बोधक, छ वर्ण कृष्णपक्ष की द्वितीया का बोधक, ठ वर्ण कृष्णपक्ष की तृतीया का बोधक, फ वर्ण कृष्णपक्ष की चतुर्थी का बोधक, र वर्ण कृष्णपक्ष की षष्ठी का बोधक, ष वर्ण कृष्णपक्ष की सप्तमी का बोधक, घ वर्ण कृष्णपक्ष की अष्टमी का बोधक, झ वर्ण कृष्णपक्ष की नौमी का बोधक, ढ वर्ण कृष्णपक्ष की दशमी का बोधक, ध वर्ण कृष्णपक्ष की एकादशी का बोधक, भ वर्ण कृष्णपक्ष की द्वादशी का बोधक, व वर्ण कृष्णपक्ष की चतुर्दशी का बोधक और ह वर्ण अमवास्या का बोधक है।
प्रश्नाक्षर अ वर्ग-अ आ इ ई उ ऊ हों तो गाँव में वस्तु, क वर्ग-क ख ग घ हों तो गाँव से बाहर जंगलादि में वस्तु, च वर्ग-च छ ज झ हों तो दो कोश की दूरी पर वस्तु, ट वर्ग-ट ठ ड ढ हों तो बारह कोश की दूरी पर वस्तु, त वर्ग-त थ द ध हों तो २४ कोश की दूरी पर वस्तु, प वर्ग-प फ ब भ हों तो ३० कोश की दूरी पर वस्तु, य वर्ग-य र ल व हों तो ६६ कोश की दूरी पर वस्तु, श वर्ग-श ष स ह हों तो १६२ कोश की दूरी पर वस्तु और छ ज ण न म हों तो ३८४ कोश की दूरी पर वस्तु समझनी चाहिए। इस प्रकार दिन, मास, संवत्सर और स्थान प्रमाण कहा है। इसे सब प्रकार के प्रश्नों में घटा लेना चाहिए।
विवेचन-आचार्य ने उपर्युक्त प्रकरण में जो स्थान प्रमाण बतलाया है, उसका प्रयोजन चोरी की गयी वस्तु की स्थिति का पता लगाने के लिए है। चोरी के प्रश्न में जब प्रश्नाक्षर अ आ इ ई उ ऊ हों तो चोरी की वस्तु गाँव के भीतर और क ख ग घ प्रश्नाक्षर हों तो गाँव के बाहर वस्तु की स्थिति समझनी चाहिए। च छ ज झ प्रश्नाक्षरों के होने पर दो कोश की दूरी पर गाँव से बाहर, ट ठ ड ढ प्रश्नाक्षरों के होने पर १२ कोश की दूरी पर, त थ द ध प्रश्नाक्षरों के होने पर २४ कोश की दूरी पर, प फ ब भ प्रश्नाक्षरों के होने पर ३० कोश की दूरी पर, य र ल व प्रश्नाक्षरों के होने पर ६६ कोश की दूरी पर, श ष स ह के होने पर १६२ कोश की दूरी पर एवं ङ अ ण न म प्रश्नाक्षरों के होने पर ३८४ कोश की दूरी पर वस्तु की स्थिति अवगत करनी चाहिए। परदेश में गये व्यक्ति की दूरी ज्ञात करने के प्रश्न में भी उपर्युक्त प्रश्न-विधि से विचार किया जाता है।
__ नष्ट जन्मपत्री बनाने के लिए केवल तिथि विचार ही उपयोगी है। जैनाचार्य ने गणित क्रिया के अवलम्बन के बिना ही इस विषय का सम्यक् प्रतिपादन किया है।
वर्णों की गव्यूति संज्ञक कथन ___ अ आ १; इ ई २; उ ऊ ३, ए ऐ १; ओ औ ५; अं अः ६; यावत्तत्राक्षराणि तावद्योज्यम् । केवलिप्रश्ने दृश्यन्ते ताश्चवर्गे स्वरे ता संख्या यावदन्य' वर्णसंयुक्ताक्षराणि दृश्यन्ते तदेव संख्यां व्याख्यास्यामः- अ क च ट त प य शादयोऽवर्गे ग्रामम् कवर्गे
१. यावत्वर्णाः-क. मू.।
केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि : १३१