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________________ यदि धन स्थान में शुक्र, व्यय स्थान में गुरु और लग्न स्थान में शुभ ग्रह हों तो चोरी वस्तु पन्द्रह दिन के भीतर मिलेगी। लग्न में चन्द्रमा स्थित हो और लग्न राशि की दिशा में सूर्य स्थित हो तो लग्नेश की दिशा में चोरी की गयी वस्तु मिलती है । शीर्षोदय लग्न में पूर्ण चन्द्र अथवा शुभग्रह स्थित हों और लग्न स्थान पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो अथवा लाभ स्थान में बलवान शुभ ग्रह स्थित हों तो चोरी की गयी वस्तु की शीघ्र प्राप्ति ह है । यदि लग्न से द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, सप्तम और दशम स्थान में शुभ ग्रह हों, प्रथम तृतीय और छठे स्थान में पाप ग्रह हों तो चोरी गयी वस्तु या खोयी हुई वस्तु की प्राप्ति होती है । लग्न में पूर्ण चन्द्र हो और उस पर गुरु या शुक्र की दृष्टि हो अथवा केन्द्र और उपचय स्थान में शुभ ग्रह हों तो भी खोयी हुई वस्तु की प्राप्ति हो जाती है। लग्न में पूर्ण चन्द्र, गुरु, शुक्र और बुध इन ग्रहों में से कोई एक या दो ग्रह हों अथवा सप्तम स्थान में शुभ ग्रह हों तो भी चोरी गयी अथवा खोयी हुई वस्तु की प्राप्ति हो जाती है। प्रश्न लग्न या चतुर्थ स्थान से दूसरे और तीसरे स्थान में शुभग्रह हों तो भी नष्ट हुआ द्रव्य कुछ समय के बाद मिल जाता है। प्रश्न लग्न स्थान में पाप ग्रहों की राशि हो और लग्न स्थान पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो भी खोयी हुई वस्तु की प्राप्ति दस-पन्द्रह दिन के बाद हो जाती है। यदि प्रश्न समय सिंह, वृश्चिक और कुम्भ इन तीन राशियों में से कोई भी राशि स्वनवांश युक्त सप्तम स्थान में हो और उस पर पाप ग्रह की दृष्टि हो तो चोरी की गयी वस्तु की प्राप्ति नहीं होती है अथवा आठवें स्थान में बलवान मंगल हो तो भी खोयी हुई वस्तु नहीं मिलती है। यदि लग्न स्थान को बलवान सूर्य का मंगल देखते हों तो चोरी की गयी वस्तु ऊपर; बुध या शुक्र देखते हों तो भित्ति (दीवाल) आदि में खोदे हुए स्थान में; बृहस्पति या चन्द्रमा देखते हों तो समान भूमि में शनि या राहु बलवान होकर लग्न को देखते हों तो भूमि में गड्ढे के अन्दर एवं बलवान रवि देखता हो तो छत के ऊपर खोयी हुई वस्तु की स्थिति समझनी चाहिए। शुक्र या चन्द्रमा लग्न में स्थित हों या लग्न को देखते हों तो नष्ट वस्तु जल में; बृहस्पति देखता हो तो देवस्थान में; रवि देखता हो तो पशुस्थान में; बुध देखता हो तो ईंटों के स्थान में; मंगल देखता हो तो राख के भीतर एवं शनि और राहु देखते हों तो घर के बाहर या वृक्ष के नीचे खोयी हुई वस्तु को जानना चाहिए । चोर का नाम जानने की रीति-यदि प्रश्नलग्न चर हो तो चोर के नाम का पहला वर्ण संयुक्ताक्षर अर्थात् द्वारिका, व्रजरत्न आदि; स्थिर लग्न हो तो कृदन्त, तद्धित (पद संज्ञक ) वर्ण अर्थात् भवानीशंकर, मंगल सेन इत्यादि और द्विस्वभाव लग्न हो तो स्वर वर्ण वाला नाम अर्थात् ईश्वरदास, ऋषभचन्द्र इत्यादि समझना चाहिए । मूक प्रश्न विचार आलिंगियम्मि जीवं मूलं अभिधूमितेसु वग्गेसु । 'दलिह भणहडाउये तस्सारसण्णा सा झरणी ॥ १. सुदलिह - क. मू. । २. भण्णदि - ता. मू. । केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि : ११७
SR No.002323
Book TitleKevalgyan Prashna Chudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages226
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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