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________________ अहिंसा की पूर्णसाधना होने पर साधक के निकटस्थ प्राणियों में परस्पर वैर भाव नहीं रहता । 119. ज्ञान, परममित्र सज्ज्ञानं परमं मित्रं । - सद्ज्ञान श्रेष्ठ मित्र है । 120. अज्ञान, महाशत्रु अज्ञानं परमो रिपुः । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 191] हारिभद्रीय टीका 26 अज्ञान महाशत्रु है । 121. संतोष, श्रेष्ठ सुख संतोषः परमं सौख्यं । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 191 ] हारिभद्रीय टीका 26 - संतोष श्रेष्ठ सुख है 1 122. आकाङ्क्षा, महादुःख श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 191] हारिभद्रीय टीका 26 आकाङ्क्षा दुःखमुत्तमम् । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 191 ] हारिभद्रीय टीका 26 आकाङ्क्षा (महत्त्वाकांक्षा) महादु:ख है । 123. मूर्ख, परदोष - परायण किं एत्तो कट्टयरं जं मूढो खाणुगंमि अप्फिडिओ । खाणुस्स तस्स रुसइण अप्पणो दुप्पओगस्स ॥ श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 192] अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस खण्ड-6• 86
SR No.002321
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages312
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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