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आचारांग
1/8/8/38
विविध प्रकार के क्षणभंगुर विपुल काम - भोगों में लिप्त न हो ।
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76. देहासक्ति-त्याग
वोसिरे सव्वसो कायं, न मे देहे परीसहा ।
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आचारांग
1/8/8/36
शरीर का सब तरह से मोह छोड़ दें । परिषह उपस्थित होने पर विचार करे कि मेरी देह पर कोई परिषह है ही नहीं ।
77. इच्छा - लोभ - वर्जन
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इच्छालोभं न सेविज्जा ।
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 133]
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इच्छा और लोभ का सेवन नहीं करना चाहिए ।
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78. अनासक्त जीवन-यात्रा
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 133] आचारांग - 1/8/8/38
सव्वद्वेहिं अमुच्छिए आउकालस्स पार ।
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 134] आचारांग - 1/8/8/40
साधक सभी विषयों में मूर्च्छित नहीं होता हुआ ( अनासक्त)
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जीवन-यात्रा को पूर्ण करें ।
79. अविश्वास किसमें ?
80. तितिक्षा
दिव्वं मायं न सहे ।
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 134] आचारांग - 1/8/8/39
भिक्षु दिव्य माया पर भी विश्वास नहीं करें ।
तितिक्खं परमं नच्चा
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 • 75