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49. अपेक्षा से श्रेष्ठ कौन ? सन्ति एगेहिं-भिक्खूहिं गारत्था संजमुत्तरा ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 121]
- उत्तराध्ययन 5/20 कई भिक्षुओं की अपेक्षा गृहस्थ संयम में श्रेष्ठ होते हैं। 50. गृहस्थ बनाम साधु श्रेष्ठ गारत्थेहिय सव्वेहि, साहवो संजमुत्तरा ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 121]
- उत्तराध्ययन - 5/20 . सभी गृहस्थों की अपेक्षा साधुगण संयम में श्रेष्ठ होते हैं । 51. बाह्योपकरण रक्षक नहीं
चीरा जिणं निगिणिणं, जडि-संघाडि-मुंडिणं । एयाणि वि न तायंति, दुस्सीलं परियागतं ॥ . - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 121]
- उत्तराध्ययन 5/21 चीवर, मृगचर्म, नग्नता, जटाएँ, कन्था (चिथड़ों से बनी हुई गुदड़ी) और सिरमुंडन-ये सारे बाह्य उपकरण आचारहीन साधक की रक्षा नहीं कर सकते। 52. सुव्रती
गिहवासोऽवि सुव्वओ। ___ - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 122]
- उत्तराध्ययन 5/24 धर्म-शिक्षा सम्पन्न गृहस्थ गृहवास में भी सुव्रती है । दिव्यगति भिक्खाए वा गिहेत्थे वा सुव्वए कमति दिवं । ---
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 122]
53. दिल्या
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6.69